Monday, April 11, 2022

परम गुरु हुज़ूर सरकार साहब के बचन

 आज का बचन

 


राधास्वामी सम्वत् 204

अर्ध-शतक 101       सोमवार  अप्रैल 11, 2022     अंक 22       दिवस 1-7



 


परम गुरु हुज़ूर सरकार साहब


के भंडारे के पावन अवसर पर यह


प्रेम प्रचारक - विशेषांक


उनके चरण कमलों में अत्यंत श्रद्धा व दीनता के साथ


सादर समर्पित है।


 


          "परमार्थ के बारे में हम जो कुछ भी अब जानते हैं और उसके बारे में जो कुछ भी हम सोच सकते हैं उन सबके एकमात्र स्रोत-प्रोत राधास्वामी दयाल हैं। जब वह दयाल तशरीफ़ लाये तो उन्होंने हमें वह सब सिखलाया जिसका कि हम परमार्थ के बारे में अब जानने का दावा कर सकें।

 उन दयाल ने हमें यह बतलाया कि हमें अपने उद्धार के लिये केवल उन दयाल पर ही निर्भरता, विश्वास और भरोसा करना चाहिये। उन दयाल ने हमें विश्वास दिलाया कि जब एक बार हमारे अन्दर परमार्थ का बीज बो दिया गया तो उसके विकास को कोई भी नहीं रोक सकता।

 ऐसी कोई भी हालत नहीं हो सकती जहाँ उसकी तरक़्क़ी रुक जाय। प्रकृति-नियम भी इस बात की ताईद करते हैं। उन दयाल ने यह भी वायदा फ़रमाया कि यह सब वह दयाल स्वयं करेंगे। उन दयाल ने अपने ऊपर यह भी ज़िम्मेवारी ली कि अन्तिम समय पर हमें निजी और यक़ीन मदद प्रदान करेंगे और हमें हमारे मौजूदा वातावरण से निकाल कर अपनी प्रेम भरी गोद में ले लेंगे और हमें परमानन्द और मोक्ष प्रदान करेंगे।

उन दयाल ने यह भी विश्वास दिलाया कि वह यह सिलसिला तब तक जारी रक्खेंगे जब तक कि हमारा पूरा उद्धार न हो जाय। इसके अलावा उन दयाल ने हमें यह सिखलाया कि उद्धार की यह काररवाई बिना निजधार की मौजूदगी के, जिसके अवतार यह दयाल ख़ुद थे, असंभव थी। हमें यह भी सिखलाया गया कि अगर यह निजधार पिण्ड और ब्रह्मांड से वापिस चली जाय तो हमारा उद्धार असंभव हो जायेगा।

 इस निजधार के प्रत्येक बदलते नये मनुष्य रूप में हमारी उन तक प्रत्यक्ष पहुँच रही। उन दयाल ने यह भी फ़रमाया कि रचना के उद्धार का काम अपूर्णनहीं छोड़ा जायेगा और इसके बाद त्रिलोकी का ख़ात्मा हो जायगा।


('फ़ोर लेटर्स' के पत्र 1 के अंश का अनुवाद, प्रेम प्रचारक दिनांक 19 अप्रैल, 1999)


 

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