Tuesday, September 12, 2023

स्मारिका

 


परम पुरुष पूरन धनी हुज़ूर स्वामीजी महाराज


स्मारिका


(पिछले दिन का शेष)


           

21. जब अनुयायियों की संख्या बढ़ गई और साधुओं ने बड़ी संख्या में प्रायः पन्नी गली में आना आरम्भ कर दिया तो स्वामीजी महाराज ने निर्णय किया कि वे शहर के शोर गुल से दूर शान्त वातावरण में चले जाएँ। स्वामीजी महाराज स्वयं पालकी में बैठकर शहर के बाहर भिन्न-भिन्न दिशाओं में मुनासिब जगह चुनने के उद्देश्य से गए। अंत में शहर के बाहर लगभग 3 मील दूर जगह चुनी और रा धा/धः स्व आ मी बाग़ की, जो अब स्वामीबाग़ के नाम से प्रसिद्ध है, नींव डाली। पहले स्वामीजी महाराज प्रतिदिन प्रातः काल स्वामीबाग़ आते और शाम को पन्नी गली वापिस जाते। बाद में जब कुछ कमरे साधुओं के लिए और एक भजन घर (एक कमरा आध्यात्मिक साधन के लिए) बन गया और एक बाग़ भी लग गया तब स्वामीजी महाराज शहर के बजाए इस स्थान पर निवास करने लगे। जब वे यहाँ रहते तो हाजत रफ़ा के लिए प्रतिदिन प्रातः काल बाहर जाते और वापिसी पर कुल्ला दातुन करने के लिए एक मुग़ल कुआँ की जगत पर आकर बैठते। स्वामीजी महाराज स्वामीबाग़ में जिस जगह रहते थे वहाँ से यह कुआँ कुछ दूरी पर था और इन अवसरों पर हुज़ूर महाराज स्वामीजी महाराज के इस्तेमाल के लिए उसी कुएँ से पानी खींच कर लाते थे। यह कुआँ अब दयालबाग़ के अन्दर है। यह कहा जाता है कि एक बार स्वामीजी महाराज ने दया करके फ़रमाया कि सतसंग कम्युनिटी का एक बड़ा शहर इस कुएँ के इर्द-गिर्द बन जाएगा।


           

22. स्वामीजी महाराज स्वामीबाग़ में जिन कमरों में रहते थे उनके निकट एक ऊँचा टीला था। उस जगह हुज़ूर महाराज ने स्वामीजी महाराज के चोला छोड़ने के पश्चात् सफ़ेद पत्थर की एक छोटी इमारत (समाध) 1879 ई. में बनवाई जिसमें स्वामीजी महाराज की पवित्र रज रखी गई और उसके निकट भक्तों की एक छोटी कॉलोनी जल्द बन गई। यह इमारत, समाध को छोड़ कर बाक़ी इमारत जो केन्द्र में थी, सन् 1904 ई. में गिरा दी गई। क्योंकि महाराज साहब चाहते थे कि एक हॉल 68'x68' समाध के लिए बनाया जाए। इस तरह की इमारत के लिए समाध के लिए बनाई जाने वाली इमारत के डिज़ाइन को दोबारा बनाया गया ताकि वह एक दिन संसार की एक अद्भुत कृति बन जाए। यद्यपि यह भवन अब भी बन रहा है फिर भी अपनी कलात्मक शिल्प कौशल के लिए यह एक प्रसिद्ध निर्माण है और प्रतिदिन बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक देखने आते हैं।


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