Tuesday, April 4, 2023

जग जीवन थोड़ा रे 1

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मानत नहीं मन मोरा साधो |

मानत नहीं मन मोरा 

रे  टेक 

बार बार मै मन समझाउं, 

जग जीवन थोड़ा 

रे 1

या देही का गरव न कीजे, 

क्या सांवर क्या गोरा 

रे, 2

बिना भक्ति तन काम न आवे, 

कोटि सुगंध चमोरा

रे 3

या माया का गरव न कीजे, 

क्या हाथी क्या घोड़ा

रे     .. 4

जोड जोड धन बहुत बिगूचे, 

लाखन कोट करोडा

रे    .. 5

दुविधा दुरमति और चतुराई, 

जनम गयो नर बोरा

रे      .. 6

अजहुँ आन मिलो सतसंगत, 

सतगुरु मान निहोरा

रे    .. 7

लेत उठाय पडत भुई गिर गिर, 

जयो बालक बिन 

कोरा रे    ... 8

कहैं कबीर चरन चित राखो, 

जैसे सूई बिच डोरा रे     .. 9

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