Wednesday, June 15, 2011

कथादेश का मीडिया विशेषांक

कथादेश का मीडिया विशेषांक - राडिया का अंधेरा है तो विकिलीक्स का उजाला भी कथादेश का मीडिया विशेषांक कथादेश का मीडिया विशेषांक : कवर पेज यह खालिस पत्रकारिता है. बिलकुल रॉ. कोई लाग लपेट नहीं. बिलकुल सीधी. खरी – खरी, सपाट, नंगी. यह विकीलीक्स की पत्रकारिता है. यह उस व्यक्ति की पत्रकारिता है, जिसने कॉर्पोरेट दलाल नीरा राडिया और नेताओं, अफसरों और पत्रकारों की बातचीत के टेप यूट्यूब और फेसबुक पर डाल दिए. जिसे डाउनलोड करके कई लाख लोगों ने राडिया टेप के बारे में जाना, जबकि पांच महीने तक मुख्यधारा का प्रेस और चैनल इन टेप पर बैठे थे और इनके बारे में एक शब्द भी बोलने – बताने को तैयार नहीं थे. कथादेश के मीडिया विशेषांक के संपादकीय की यह कुछ शुरूआती पंक्तियाँ है. अंक के केन्द्रबिंदु में – ‘राडिया और विकीलीक्स के दौर में मीडिया’ विषय है. हाल ही में स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, जेएनयू में इसका लोकार्पण हुआ. इस अंक के अतिथि संपादक स्वतंत्र पत्रकार और विश्लेषक दिलीप मंडल और मोहल्ला लाईव के संपादक अविनाश हैं. कथादेश के मीडिया विशेषांक के लोकार्पण के मौके पर संगोष्ठी कथादेश के मीडिया विशेषांक के लोकार्पण के मौके पर संगोष्ठी स्टॉल पर आते ही पत्रिका हाथों – हाथ बिक गयी. अंक अपने आप में कई मायनों में अलग है. साहित्यिक पत्रिकाओं के मीडिया विशेषांक से बिलकुल अलग. आमतौर पर मीडिया विशेषांकों में नामचीन लोगों से लिखवाया जाता है. नए लेखकों के लिए मौके कम ही होते हैं. लेकिन कथादेश के इस पूरे अंक को पलटेंगे तो आपको ज्यादातर नए लेखकों के लेख ही मिलेंगे. अंक की शुरुआत ही एक बिलकुल नए लेखक से होती है. स्टॉल पर पत्रिका आने से पहले अंक के संपादक दिलीप मंडल अपने फेसबुक वॉल पर लिखते हैं – “कथादेश मीडिया वार्षिकी का काम पूरा। क्या आप सोच सकते हैं कि जिस युवक के आलेख से यह अंक शुरू होगा, उनकी उम्र शायद 25 साल होगी। उन्होंने पीएचडी नहीं की है, किताबें नहीं लिखी हैं, कहीं नौकरी भी नहीं करते। कथादेश के इस अंक से ज्ञान की कुछ परंपरागत धारणाओं को चोट पहुंचेगी। तैयार रहें।” वाकई में कथादेश के नए अंक से कई परम्पराएँ टूटी हैं तो कुछ नई परम्पराएँ बनी है. अंक के कंटेंट, भाषा, आवरण, साज-सज्जा और प्रूफ रीडिंग इन बातों को छोड़ दें (यह बातें तो होती ही रहती है. वैसे भी यहाँ हम इस अंक की कोई समीक्षा पेश नहीं कर रहे) तो कई नई चीजें उभर कर सामने आती है. आमतौर पर मीडिया विशेषांक निकालने के लिए महीनों पहले से योजना बनायी जाती है. तैयारियां शुरू होती है. नामचीन लेखकों के नाम तय किये जाते हैं. उनसे संपर्क किया जाता है. लिखने की सहमति ली जाती है. यदि कोई नामचीन हस्ती हैं तो लेख पूरा करने के लिए कई बार निहोरा (आग्रह) करना पड़ता है. फिर कई लोग टायपिंग नहीं जानते तो हाथ से लिखे को टाइप करने की अलग से ज़िम्मेदारी. यानी मिला – जुलाकर अंक निकालने वाले की शामत. अंक के कंटेंट से ज्यादा नामचीन लोगों से लेख एकत्रित करने और निहोरा करने में समय नष्ट हो जाता हैं. लेकिन कथादेश के मीडिया विशेषांक अंक की बात पब्लिक डोमेन में फेसबुक के माध्यम से आती है. अतिथि संपादक दिलीप मंडल सीधे सूचना देते हुए अपने वॉल पर लिखते हैं. एक तरह से कई परम्परागत धारणाओं पर चोट करते हुए लिखते हैं – “कथादेश के मीडिया अंक में पिटे हुए, थके हुए, पके हुए महान लेखकों से लिखवाने से बचना चाहता हूं. आप लोग आगे आएं। मीडिया के बारे में लिखें। शोधपूर्ण, संदर्भ सहित। कैसा दिखता है मीडिया, क्यों दिखता है, किसकी वजह से दिखता है, किसका है मीडिया, किसको पूछता है, किसको दुत्कारता है और ऐसा क्यों करता है? ऐसा करता है तो क्या असर होता है, किस पर असर होता है? क्या खेल है मीडिया का? कथादेश के मीडिया अंक में लिखने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट यानी अपना नाम भेजने की अंतिम तारीख 20 फरवरी है। इसके 13 दिन के अंदर यानी 5 मार्च तक सामग्री जरूर भेज दें। फिक्शन-नॉन फिक्शन दोनों तरह की सामग्रियां आमंत्रित हैं। अंक अप्रैल में आएगा। आप अपने लेख सीधे कथादेश या फिर dilipcmandal@gmail.com This e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it पर भेज सकते हैं।” यह शैली कारगर सिद्ध हुई. दर्जनों नए लेखकों का जन्म. ऐसे लेखक जिन्होंने पहली बार कोई लेख लिखा. इनमें रिसर्च स्कॉलर, वेब पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, विज्ञापन प्रोफेशनल, रेडियो जॉकी, वेब प्रोग्रामर, अनुवादक, दलित – सवर्ण सब हैं. लेखकों की बहुत बड़ी रेंज है. दरअसल इस अंक से जितने नए लेखकों का जन्म हुआ, वह अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण हैं. नामचीन लेखकों के लिए एक तरह से चुनौती भी. (यदि आपको यह अंक नहीं मिल पा रहा है तो आप सीधे कथादेश से संपर्क कर सकते हैं. कथादेश – kathadeshnews@gmail.com This e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it / 011- 22570252. पीडीएफ फ़ाइल के लिए इस अंक के अतिथि संपादक दिलीप मंडल से संपर्क करें. संपर्क : dilipcmandal@gmail.com This e-mail address is being protected from spambots. You need JavaScript enabled to view it ) कथादेश ( मीडिया वार्षिकी) राडिया और विकीलीक्स के दौर में ... संपादक : हरिनारायण अतिथि संपादक : दिलीप मंडल , अविनाश महीना – अप्रैल, 2011. पृष्ठ संख्या – 204. कीमत – 60 रूपये . कथादेश के मीडिया विशेषांक की विषय सूची : कथादेश के मीडिया विशेषांक की विषय सूची कथादेश के मीडिया विशेषांक की विषय सूची Comments 0 #2 संग्रहणीय अंक — 2011-05-25 18:37 कथादेश के मीडिया वार्षिकी अंक में समसामयिक पत्रकारिता के लगभग सभी पहलुओं पर गहराई से टिप्पणियां की गई हैं। यह अंक संग्रहणीय है। सम्पादक व लेखकों की टीम को ज्ञानवर्धन बढ़ाने के लिए साधुवाद। Quote +2 #1 अच्छी सामग्री — 2011-04-17 09:05 अंक के लिए दिलीप मंडल को साधूवाद. दो दिन पहले ही अंक पढ़ने को मिला. अच्छी कोशिश, नया प्रयोग. बहुत बधाई. अच्छी सामग्री मुहैया कराई गयी. Quote Refresh comments list RSS feed for comments to this post. Add comment (1)मीडिया खबर - खबरों की खबर देश की पहली मीडिया वेबसाईट (हिंदी) है.साल 2008 के जून महीने में इसे लॉन्च किया गया था.यह देश की पहली द्विभाषीय (Bilingual)मीडिया वेबसाईट भी है. (2)यदि आप मीडिया खबर.कॉम को कोई सूचना या जानकारी देना चाहते हैं तो अपनी जानकारी mediakhabaronline@gmail.com पर भेजें. मीडिया खबर.कॉम के संपादक से आप pushkar@mediakhabar.com के जरिये संपर्क कर सकते हैं. (3)मीडिया खबर.कॉम पर प्रकाशित कोई भी लेख एक बार प्रकाशित हो जाने पर किसी कीमत पर नहीं हटाया जाएगा (अपवाद छोड़कर). इस सिलसिले में यदि लेख के लेखक भी ऐसा चाहेंगे तो हम ऐसा करने में असमर्थ हैं. यह हमारी प्रतिबद्धता में शामिल है. (4)कृपया कमेंट करने में मर्यादित भाषा का प्रयोग करे. लेख में छपे टिप्पणियों के प्रति मीडिया खबर.कॉम या मीडिया खबर.कॉम के एडिटर / पब्लिशर की कोई वैधानिक ज़िम्मेदारी नहीं है. (5)यदि मीडिया खबर की किसी रिपोर्ट से आपको शिकायत है तो आप अपनी शिकायत mediakhabaronline@gmail.com पर भेज सकते हैं. 48 घंटे के भीतर आपकी शिकायत पर कार्रवाई की जायेगी. लेकिन सिर्फ ईमेल से आयी हुई या लिखित शिकायतों पर ही विचार किया जाएगा. Name (required) E-mail (required) Website Title (required) 50000 symbols left Notify me of follow-up comments Send Cancel JComments Related News * न्यूज़24 पर चाटुकारिता LIVE * पत्रकारिता में शब्दों के चयन में सावधानी बरतें :प्रो सुन्दर लाल * फेसबुक पर पत्नी ने धोखेबाज पति को धर दबोचा * मीडिया पर केंद्रित रचना क्रम का अगला अंक, रचनाएं आमंत्रित * पत्रकारिता अब क्यों नहीं रही एक आदर्श कॅरियर का विकल्प...? * हिंदी पत्रकार या न्यूज़ रूम में राजनीति करने वाले पत्रकार * अम्बिकानंद सहाय ने पत्रकारों की इज्जत बचा ली * झारखंड में चैनल बने अय्याशी का अड्डा * पत्रकार रामबहादुर राय पर केंद्रित होगा मीडिया विमर्श का अगला अंक * विनायक सेन को मीडिया ने महानायक बनाया! * 'मुन्ना' बदनाम हुआ 'राडिया मैम' तेरे लिए ! * दागदार है सहारा समय के प्रबुद्ध राज का चेहरा! * दस टकिये पत्रकारों का दर्द * पेशा नहीं ‘पैशन’ है पत्रकारिता * विकीलीक्स की पत्रकारिता के अर्थ * सहारा में कार्यरत मीडियाकर्मियों की साख दांव पर * मैं बरखा दत्त हूँ, मुझे शर्म नहीं आती * पत्रकारिता की सीढ़ी चढ़कर उपेन्द्र राय पीआरगिरी के शिखर पर * न्यूज चैनलों के आगे की कड़ी सोशल मीडिया * बिहार की मीडिया का लोकतंत्र, शुक्रिया आई नेक्स्ट * राजदीप को भ्रष्टाचार पर बोलने का क्या हक ? * हफ्तावसूली और ख़बरों की सुपारी, ख़बरों के बाजार में ‘ख़बरों की ख़बर' * नेपाल की पत्रकारिता पर पुस्तक प्रकाशन के लिए मिला अनुदान * राडिया की भ्रष्ट सेना का एक और 'संपादक सेनापति' * एंकर अनुराग मुस्कान की कलम से अण्णा LIVE * मीडिया कर्मियों और कार्यकर्ताओं के बीच तनातनी * भारतीय मीडिया क्यों कर रही है अन्ना को सपोर्ट? * पेपर लीक मामले मे मीडिया का चेहरा हुआ उजागर * मीडियावालों से बड़ा गुंडा है क्या कोई इस देश में !! * मासिक पत्रिका समागम को शोध पत्रिका का दर्जा तस्वीरें बोलती है * IBN-7 की महिला एंकरों के जलवे 4 * IBN-7 की महिला एंकरों के जलवे 3 * IBN-7 पर अण्णा की जीत का जश्न * IBN-7 की महिला एंकरों के जलवे 2 * IBN-7 की महिला एंकरों के जलवे Justice 4 Sayema Seher * TWINKLE TWINKLE DIRTY STAR * स्टार न्यूज़ की हकीकत मीडिया खबर पर देखिए - LIVE * WHY WAS STAR NEWS INDIFFERENT TO SAYEMAS’ CASE? * स्टार न्यूज़ के सामने ही स्टार न्यूज़ हुआ बेपर्दा * Twinkle, twinkle, little Star... 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1 comment:

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