Sunday, October 16, 2011

विवाह पूर्व यौन संबंधों के बारे में बाइबल क्या कहती है?



प्रश्न: विवाह पूर्व यौन संबंधों के बारे में बाइबल क्या कहती है?

उत्तर:
सारी अन्य प्रकार की यौन-अनैतिकताओं के साथ ही विवाह पूर्व संबंधों को पवित्र शास्त्र में लगातार दोषी ठहराया गया है (प्रेरितों के काम १५:२०; रोमियो १:२९; १कुरिन्थियों ५:१; ६:१३१८; ७:२; १०:८; २कुरिन्थियों १२:२१; गलतियों ५:१९; इफिसियों ५:३; कुलुस्सियों ३:५; १थिस्सलुनीकियो ४:३; यहूदा ७) । बाइबल विवाह पूर्व आत्मसंयम का समर्थन करती है । विवाह पूर्व यौन संबंध उतने ही गलत हैं जितना कि व्यभिचार तथा अन्य प्रकार की यौन अनैतिकताऐं, क्योंकि उन सब में यौन संबंध किसी ऐसे व्यक्ति के साथ होते हैं जिनसे आप विवाहित ना हों । एक पति तथा पत्नी के बीच यौन संबंधों ही परमेश्वर को मान्य है (इब्रानियों १३:४) ।

विवाह पूर्व यौन संबंध कई कारणो से समान्य हो गया है। अधिकतर हम यौन संबंधों के मन बहलाव के पहलू की ओर केन्द्रित रहते हैं, बिना उसके पुनर्जन्म के पहलू को पहचाने । हाँ, यौन संबंध आनन्ददायक होते हैं । परमेश्वर ने उनको इसी तरह का बनाया है । वो चाहता है कि पुरूष और स्त्री यौन क्रियाओं का आनन्द लें (विवाह की सीमाओं में रहकर) । यद्यपि, यौन-संबंधों का मूल उद्देश्य आनन्द नहीं है, परन्तु वस्तुतः प्रजनन है । परमेश्वर विवाह पूर्व यौन संबंधों को अवैद्य इसलिये नहीं घोषित करता कि वो हमसे हमारा आनन्द वंचित कर दे, परन्तु हमें उन अनचाही गर्भावस्थाओं से तथा उन बच्चों के जन्म से जिन्हें मॉ-बाप नहीं चाहते हैं या उनके लिए तैयार नहीं है को बचाना है । कल्पना करें कि हमारा संसार कितना अच्छा हो जायेगा अगर हम परमेश्वर के यौन संबंधों के प्रतिमान का अनुसरण करें : कम यौन प्रेषित रोग, कम कुऑरी माताऐं, कम अनचाही गर्भाव्स्थायें, कम गर्भपात वगैरह । आत्म-संयम ही परमेश्वर की एकमात्र नीति है जब विवाह पूर्व यौन संबंधों की बात आती है । आत्मसंयम जिंदगियॉ बचाता है, शिशुओं की रक्षा करता है, यौन संबंधों को उचित मूल्य देता है, तथा सबसे महत्वपूर्ण रूप से परमेश्वर को सम्मान देता है ।



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