Tuesday, August 23, 2022

माखन चोर दर्शन

प्रस्तुति - रेणु दत्ता / आशा सिन्हा 


एक गोपी के घर लाला माखन खा रहे थे. उस समय

गोपी ने लाला को पकड लिए. तब कन्हैया बोले - तेरे

धनी की सौगंध खा कर कहता हु, अब फिर कभी भी तेरे

घर में नहीं आऊंगा. गोपी ने कहा - मेरे धनी की सौगंध

क्यों खाता है ? कन्हैया ने कहा. तेरे बाप की सौगंध ,

बस गोपी और ज्यादा खीझ जाती है और

लाला को धमकाती है परन्तु तू मेरे घर आया ही क्यों?

कन्हैया ने कहा - अरी सखी! तू रोज कथा में जाती है,

फिर भी तू मेरा तेरा छोडती नहीं - इस घर का मै

धनी हु, यह घर मेरा है गोपी को आनंद हुआ कि मेरे घर

को कन्हैया अपना घर मानता है,

कन्हैया तो सबका मालिक है, सभी घर उसी के है.

उसको किसी कि आज्ञा लेने कि जरूरत

नहीं लिए.

गोपी कहती है - तुने माखन क्यों खाया ?

लाला ने कहा - माखन किसने खाया है ? इस माखन में

चींटी चढ़ गई थी तो उसे निकलने को हाथ डाला. इतने

में ही तू टपक पड़ी गोपी कहती है. परन्तु लाला! तेरे

ओंठो के उपर भी तो माखन चिपका हुआ है कन्हैया ने

कहा - चींटी निकालता था , तभी ओंठो के उपर

भी तो मक्खी बैठ गई, उसको उड़ाने लगा तो माखन

ओंठो पर लग गया होगा कन्हैया जैसे बोलते है,

ऐसा बोलना किसी को आता नहीं. कन्हैया जैसे चलते

है, वैसे चलना भी किसी को आता नहीं.

गोपी तो पीछे लाला को घर में खम्भे के साथ डोरी से

बाँध दिया, कन्हैया का श्रीअंग बहुत ही कोमल है

गोपी ने जब डोरी कस कर बाँधी तो लाला कि आँख

में पानी आ गया. गोपी को दया आई , उसने लाला से

पूछा - लाला! तुझे कोई तकलीफ है क्या लाला ने गर्दन

हिला कर कहा - मुझे बहुत दुःख हो रहा है,

डोरी जरा ढीली करो गोपी ने विचार

किया कि लाला को डोरी से कस कर बाधना ठीक

नहीं, मेरे लाला को दुःख होगा. इस लिए गोपी ने

डोरी थोड़ी ढीली राखी और पीछे

सखियो को खबर देने गई के मैंने लाला को बांधा है तुम

लाला को बांधो परन्तु किसी से कहना नहीं, तुम खूब

भक्ति करो, परन्तु उसे प्रकाशित मत करो,

भक्ति प्रकाशित हो जाएगी तो भगवान सटक जायेंगे,

भक्ति का प्रकाश होने से भक्ति बढती नहीं , भक्ति में

आनद आता नहीं. बाल कृष्ण सूक्ष्म शरीर करके डोरी से

बहार निकल गए और गोपी को अंगूठा दिखा कर कहा,

तुझे बांधना ही कहा आता है? गोपी कहती है - तो मुझे

बता , किस तरह से बांधना चाहिए

गोपी को तो लाला के साथ खेल करना था,

लाला गोपी को बांधते है योगीजन मन से श्री कृष्ण

का स्पर्श करते है तो समाधि लग जाती है.

यहाँ तो गोपी को प्रत्यक्ष श्री कृष्ण का स्पर्श हुआ है.

गोपी लाला के दर्शन में तल्लीन हो जाती है.

गोपी को ब्रह्म - सम्बन्ध हो जाता है. लाला ने

गोपी को बाँध दिया. गोपी कहती है के

लाला छोड़! छोड़! लाला कहते है - मुझे

बांधना आता है. छोड़ना तो आता ही नहीं यह जीव

एक एसा है, जिसको छोड़ना आता है, चाहे

जितना प्रगाढ़ सम्बन्ध हो परन्तु स्वार्थ सिद्ध होने पर

उसको भी छोड़ सकता है, परमात्मा एक बार बाँधने के

बाद छोड़ते नही

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