Thursday, August 10, 2023

बचन /0708 2023

 रा-धा-स्व-आ-मी!                                                                

07-08-23- आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:- (17-9-31- बृहस्पत का शेष)-                                                              


अख़बारों में ख़बर है कि चन्द्रनगर स्टेशन के क़रीब सुबह के वक्त एक आदमी, एक अजगर सांप और एक शेर रेलवे लाइन पर एक दूसरे के पास कटे हुए मिले। मालूम होता है कि सांप ने अंधेरे में आदमी को काटा। आदमी चिल्ला कर भागा शेर आदमी की आवाज़ सुनकर उसकी तरफ लपका। पीछे सांप, सामने शेर, बीच में आदमी । रेल की तरफ किसी का ख़याल न रहा। सांप व शेर अपने शिकार के खयाल में और आदमी जान बचाने की फ़िक्र में। आखिर रेल ने तीनों का क़िस्सा पाक (समाप्त ) कर दिया। दुनिया में कितने ही ऐसे इंसान हैं जो सांप व शेर के से मन रखते हैं और सीधे सादे लोगों के पीछे पड़े हैं या रुपया पैसा के तआकुब (पीछे) में लगे हैं और अजल (मृत्यु ) को एकदम फ़रामोश (भूल) कर बैठे हैं। अक्लमन्द वह शख़्स है जो हमेशा चौकन्ना व बेदार (जागृत) रहता है और अपनी मौत को याद रखता है वही शख्स अपनी ज़िन्दगी के हर लम्हें (पल) का फ़ायदा उठाता है। सतसंग ही में ऐसे लोग मौजूद हैं कि उम्र सत्तर साल से ऊपर हो गयी, सब आजा (अंग) जवाब दे रहे हैं, बदन में राशा (कम्पन) आ गया है, लेकिन मुकदमे बाजी का शौक़ ऐसा गालिब (छाया हुआ) है कि इलाही तोबा (ईश्वर बचाये)। या तो इसी शौक़ ने जवान बना रखा है और मौत की याद भुला दी है। उनको बार बार समझाते हैं लेकिन वह उल्टा ही समझते हैं। अभी दो दिन गुज़रे कि एक ऐसा मामला पेश हुआ। एक सतसंगी जिसका सब बदन कांपता था लेकिन मुक़दमे बाजी के लिये तैयार बर (पर) तैयार था। एक अंधेरी रात को जबकि ऐसे लोग अपनी कशमकश (खींचतान ) में लगे होंगे और मौत का फ़रिश्ता सामने आ खड़ा होगा और कहेगा अब चलिये साहब - बहुत उधेड़बुन हो चुकी ग़ालिबन (संभवत) उस वक्त उनको होश आवेगी! लेकिन उस वक़्त का होश किस काम का? ए प्यारे भाइयों! अभी वक़्त होश संभालने का है। अभी संभलो और अपनी जिन्दगी का लुत्फ़ उठाओ, और हंसते खेलते हुए रा-धा-स्व-आ-मी दयाल के चरनों में बिसराम हासिल करो। जहाँ तक मुमकिन हो दुनिया के झगड़े कम करो और अपनी आक़बत (परलोक) संवारो।                                                                

🙏🏻 रा-धा-स्व-आ-मी 🙏🏻

रोजाना वाकिआत-परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज!

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