Friday, August 11, 2023

मगध महाजनपद

 


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मगध महाजनपद

प्राचीन भारत में राज्य

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। आधुनिक पटना तथा गया जिला इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी "गिरिव्रज" (वर्तमान राजगीर) बाद में "पाटलिपुत्र" थी। मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्व वेद में मिलता है। अभियान चिन्तामणि के अनुसार मगध को कीकट कहा गया है। गौतम बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ वंश के बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे।[1] अभी मगध नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल है।

मगध साम्राज्य

ल. 1100 – ल. 345 ईसा पूर्व (प्राचीन मगध महाजनपद)
ल. 345 ईसा पूर्व – 1200 इस्वी (मगध सम्राज्य)
500 ईसा पूर्व की अवधि में मगध और अन्य महाजनपद
500 ईसा पूर्व की अवधि में मगध और अन्य महाजनपद
मगध राजवंशों का प्रादेशिक विस्तार
मगध राजवंशों का प्रादेशिक विस्तार
राजधानीराजगीर (गिरिव्रज),
बाद में पाटलिपुत्र (वर्तमान मे पटना)
प्रचलित भाषाएँसंस्कृत (मुख्य)
मागधी
धर्म
हिंदू धर्म
बौद्ध धर्म
जैन धर्म
सरकारराजतन्त्र, जैसा कि अर्थशास्त्र में वर्णित है
सम्राट (मुख्य) 
• ल. 544–492 ईसा पूर्व
बिम्बिसार
• ल. 492–460 ईसा पूर्व
अजातशत्रु
• ल. 460–444 ईसा पूर्व
उदायिभद्र
• ल. 437–413 ईसा पूर्व
नागदसक
• ल. 413–395 ईसा पूर्व
शिशुनाग
• ल. 395–367 ईसा पूर्व
कालाशोक
• ल. 349–345 ईसा पूर्व
महानन्द
ऐतिहासिक युगलौह युग
पूर्ववर्ती
परवर्ती
वैदिक सभ्यता
नंद वंश
अब जिस देश का हिस्सा हैभारत

प्राचीन मगधसंपादित करें

मगध राज्य, वैदिक काल मे, पूर्वी भारत मे स्थित

प्रथम मगध राजवंशसंपादित करें

यह मगध का सबसे प्राचीनतम राजवंश था। इसका उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथो मैं मिलता है।

शासकों की सूची –
मगध के प्राचीन शासकों की सूची
क्रम-संख्याशासकशासन अवधिटिप्पणी
1महाराजा मगधराजा मगध ने मगध साम्राज्य की स्थापना की।
2महाराजा सुधन्वाकुरु द्वितीय का पुत्र सुधन्वा अपने मामा महाराजा मगध के बाद मगध का राजा बना। सुधन्वा राजा मगध का भतीजा था।
3महाराजा सुधनु
4महाराजा प्रारब्ध
5महाराजा सुहोत्र
6महाराजा च्यवन
7महाराजा चवाना
8महाराजा कृत्री
9महाराजा कृति
10महाराजा क्रत
11महाराजा कृतग्य
12महाराजा कृतवीर्य
13महाराजा कृतसेन
14महाराजा कृतक
15महाराजा प्रतिपदामहाराजा उपरिचर वसु के पिता।
16महाराजा उपरिचर वसुबृहद्रथ के पिता और राजवंश के अंतिम राजा थे।

बृहद्रथ राजवंशसंपादित करें

यह मगध का एक प्राचीनतम राजवंश था। महाभारत तथा पुराणों के अनुसार जरासंध के पिता तथा चेदिराज महाराजा उपरिचर वसु के पुत्र बृहद्रथ ने बृहद्रथ वंश की स्थापना की। इस वंश में दस राजा हुए जिसमें बृहद्रथ पुत्र जरासंध एवं प्रतापी सम्राट था। जरासंध ने काशीकौशलचेदिमालवाविदेहअंगवंगकलिंगकश्मीर और गांधार राजाओं को पराजित किया।

मथुरा शासक कंस ने जरासंध की दो पुत्रियों अस्ति और प्रप्ति से शादी की थी तथा ब्रहद्रथ वंश की राजधानी वशुमति या गिरिव्रज या राजगृह को बनाई। भगवान श्रीकृष्ण की सहायता से पाण्डव पुत्र भीम ने जरासंध को द्वन्द युद्ध में मार दिया। उसके बाद उसके पुत्र सहदेव को शासक बनाया गया। इस वंश का अन्तिम राजा रिपुन्जय था। रिपुन्जय को उसके दरबारी मंत्री 'पुलिक' ने मारकर अपने पुत्र प्रद्योत को राजा बना दिया। ईसा पूर्व 682 में ब्रहद्रथ वंश को समाप्त कर एक नये राजवंश प्रद्योत वंश की स्थापना हुई।

शासकों की सूची –
मगध के बृहद्रथ राजवंश के शासकों की सूची
क्रम-संख्याशासकशासन अवधि (ई.पू में)टिप्पणी
1महाराजा बृहद्रथराजा बृहद्रथ ने मगध साम्राज्य की स्थापना की।
2महाराजा जरासंधराजा बृहद्रथ का पुत्र और राजवंश के सबसे शक्तिशाली शासक, भीम द्वारा वध कर दिया गया।
3महाराजा सहदेवराजा जरासंध का पुत्र, पांडवों के अधीन शासन किया।
4महाराजा सोमाधिराजा सहदेव का पुत्र
5महाराजा श्रुतश्रव
6महाराजा अयुतायु
7महाराजा निरमित्र
8महाराजा सुकृत्त
9महाराजा बृहत्कर्मन्
10महाराजा सेनाजित्
11महाराजा श्रुतंजय
12महाराजा विभु
13महाराजा शुचि
14महाराजा क्षेम
15महाराजा सुव्रत
16महाराजा सुनेत्र
17महाराजा निवृति
18महाराजा महासेन
19महाराजा सुमति
20महाराजा अचल
21महाराजा सुनेत्र
22महाराजा सत्यजित्
23महाराजा विश्वजितराजा रिपुंजय के पिता
24महाराजा रिपुंजयल. 732–682राजा रिपुंजय राजवंश के अंतिम राजा थे, उनकी हत्या उनके प्रधानमंत्री पुलिक द्वारा कर दी गई और अपने पुत्र प्रद्योत को मगध का नया राजा बना दिया और प्रद्योत वंश की नीव रखी।

प्राचीन गणराज्यसंपादित करें

प्राचीन बिहार में गंगा घाटी में लगभग 10 गणराज्यों का उदय हुआ। ये गणराज्य हैं-

गंगा घाटी के प्राचीन गणराज्यों की सूची
क्रम-संख्यागणराज्यराजधानीशासन अवधिटिप्पणी
1शाक्यकपिलवस्तु
2भर्गसुमसुमार पर्वत
3कालामकेसपुत्र
4कोलियरामग्राम
5मल्लकुशीनगर
6मल्लपावा
7मौर्यपिप्पलिवन
8बुलिआयकल्प
9लिच्छविवैशाली
10विदेहमिथिला

वैशाली के लिच्छवीसंपादित करें

बिहार में स्थित प्राचीन गणराज्यों में बुद्धकालीन समय में सबसे बड़ा तथा शक्‍तिशाली राज्य था। इस गणराज्य की स्थापना सूर्यवंशीय राजा इक्ष्वाकु के पुत्र विशाल ने की थी, जो कालान्तर में ‘वैशाली’ के नाम से विख्यात हुई।

  • महावग्ग जातक के अनुसार लिच्छवि वज्जि का एक धनी समृद्धशाली नगर था। यहाँ अनेक सुन्दर भवन, चैत्य तथा विहार थे।
  • लिच्छवियों ने बुद्ध के निर्वाण हेतु महावन में प्रसिद्ध कतागारशाला का निर्माण करवाया था।
  • राजा चेतक की पुत्री चेलना का विवाह मगध नरेश बिम्बिसार से हुआ था।
  • ईसा पूर्व ७वीं शती में वैशाली के लिच्छवि राजतन्त्र से गणतन्त्र में परिवर्तित हो गया।
  • विशाल ने वैशाली शहर की स्थापना की। वैशालिका राजवंश का प्रथम शासक "नमनेदिष्ट" था, जबकि अन्तिम राजा "सुति" या "प्रमाति" था। इस राजवंश में २४ राजा हुए हैं।

अलकप्प के बुलिसंपादित करें

यह प्राचीन गणराज्य बिहार के शाहाबादआरा और मुजफ्फरपुर जिलों के बीच स्थित था। बुलियों का बैठ द्वीप (बेतिया) के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध था। "बेतिया" बुलियों की राजधानी थी। बुलि लोग कालांतर में बौद्ध धर्म के अनुयायी हो गए। बुद्ध की मृत्यु के पश्‍चात्‌ उनके अवशेष को प्राप्त कर एक स्तूप का निर्माण करवाया था। गुर्जर नरेश चुलिक ने सर्वप्रथम राज किया जो चुलिक वंश से था गुर्जर प्रतिहार वंश एवं चालुक्या गुर्जर,शक गुर्जर,कुषाण गुर्जर,मोरी गुर्जर, चेची गुर्जर,चौहान वंश भी गुर्जर के अधीन है| पृथ्वीराज चौहान गुर्जर सम्राट की उपाधि का त्याग कर दिया उनके पिता सोमेस्वर गुर्जर वंश के अंतिम चौहान गुर्जर वंशी थे | पृथ्वीराज चौहान को राजपूत वंश भी नहीं कह सकते क्योकि पृथ्वीराज चौहान के पिता गुर्जर थे | लेकिन पृथ्वीराज राज ने गुर्जर लगाना उचित नहीं समझा पृथ्वीराज चौहान के बाद उनके वंशज गुर्जर से राजपूत में परिवर्तन हो गए इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं पृथ्वीराज चौहान थे | क्योकि उन्होंने गुर्जर सम्राट लिखना बंद कर दिया था | जबकि उनके पिता सोमेश्वर गुर्जर सम्राट शब्द प्रयोग करते थे |पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर अपने आप को गुर्जर वंशज बता ते थे | जबकि पृथ्वीराज के बाद में चौहान वंश गुर्जर की बजाय राजपूत लगाने लगे |

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