*गोपी के बालकृष्ण गोपाल*
आज लाला कन्हैया के आँखन मे काजल लगाने को दिन है! नन्द बाबा की बहन सुनन्दा देवी जो कन्हैया की बुआ लगती है चटकती मतकती आयी और यशोदाजी से बोली की --
सुनन्दा जी -- भाभीजी लाला को काजल लगावे का हक हमारो है!
श्री यशोदा जी -- हाँ बीबी जी लगाओ आप ही लगाओ !!
सुनन्दा जी -- ऐसे नही लगाऊँगी मेरो को भी नेग चाहिये !!
यशोदा जी -- हाँ बीबी जी आपको भी नेग मिलेगो !
सुनंदा जी -- देखो भाभी जब लाला के नाल छेदन के समय नालकाटनेवारी दासी नेग के लिये मचल गई की व्रजरानी बहुत दिनन बाद लाला हुआ हुआ है नेग सोच समझकर देना तो आपने अपने गले का नौलखा हार उतारकर उसे पहना दी वाते कमती मुझे मत करियो नही तो ननद भाभी दोनन की झगड़ा बन जायेगी और हमेशा के लिये ननद भौजाई की शिकायत बनी रहेगी!
यशोदा जी -- नही नही बीबी जी वाते बढ़ चढ़के मिलेगो !
फिर सुनन्दा बुआ ने लाला श्यामसुन्दर को काजल लगाई और सोच रही है की देखे भाभी क्या देती है ज्योंही सुनन्दा बुआ ने हाथ बढ़ाये की लाओ मेरा नेग दो तो *श्री यशोदा जी ने कन्हैया को उठाकर उनकी गोदी मे दे दी* और सुनन्दा जी के मुखमंडल पर दृष्टि डाली की बीबी जी कछु कसर रह गयी हो तो दउँ कछु और? आँखन मे आँसू आ गये सुनन्दा बुआ के बोली भाभी याते कीमती और क्या हो सकता है तूने तो अपना सर्वस्व दे दिवो ! अब लाला मुझे नेग मे मिल्यो तो लाला तो हमारो हय गयो लेकिन भाभी मेरी छाती मे दूध नाय लाला को दूध पिलावे को कोई धाय रखनो पड़ेगो और देख तेरी छाती मे दूध फालतू पड़ो रहेगो क्या फायदो धाय रखने को लेव मै तोहि को अपने लाला के लिये धाय के रुप मे नियुक्त करती हूँ मेरो लाला को खूब ध्यान रखियो और उन्होने लाला कन्हैया को यशोदा जी के गोद मे दे दिया !! इस तरह से खूब आनन्द हो रहा है ब्रज मे!!
No comments:
Post a Comment