Friday, December 31, 2021

मृत्यु के बाद गति / आत्म स्वरूप

 Hindu mythology


मृत्यु के बाद गति



1. प्रश्न- मृत्यु क्या है?


उत्तर- यों तो मृत्यु कोई वस्तु नहीं है, केवल स्थूल देहसे जीवात्मा का सम्बन्ध भर छूटता है। आत्मा नित्य अजर-अमर है, वह मरता नहीं और पंचभूत अपने-अपने तत्त्व में मिल जाते हैं।


2. प्रश्न- मृत्यु के बाद साथ क्या जाता है? 


उत्तर- अपने कर्म-संस्कार ही साथ जाते हैं।


3. प्रश्न- सुनते हैं कि जीव दूसरे शरीर का निश्चय होनेपर पहले शरीर को छोड़ता है और जीव कर्मफल भोगने के लिये नरक, स्वर्ग या पितृलोक में जाता है तब इसका तात्पर्य क्या है ?


उत्तर- यह शरीर पृथ्वी प्रधान है, स्वर्गादि देवलोकों का तेजः प्रधान एवं पितृलोक का वायु प्रधान होता है। यहाँ मृत्यु होते ही जीव को एक आधार शरीर मिल जाता है, उसे ‘अतिवाहिक देह’ कहते हैं। इसलिये दोनों बातों में विरोध नहीं रहता।


4. प्रश्न- नरक में इतने भयंकर कष्ट पानेपर क्या वह शरीर मरता नहीं?


उत्तर- ‘अतिवाहिक देह से कर्मानुसार जीव को नरकों में जाना है तो वायुप्रधान यन्त्रणा-शरीर’ मिलता है। जिसमें उसे भीषण यन्त्रणाओं का अनुभव होता है पर मृत्यु नहीं होती।


5. प्रश्न- पितृलोक में जानेवालों का क्या होता है?


उत्तर- पितृलोक के अन्यान्य स्तरों में जानेवाले जीवों को भी वायुप्रधान भोगदेह प्राप्त होते हैं उनमें वे यन्त्रणा न भोगकर पितृलोक के भोग भोगते हैं।

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