Wednesday, February 2, 2022

बन्द मुठ्ठी लाख की !!*/+कृष्ण मेहता

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एक समय एक होलकर राज्य में  राजा ने घोषणा की कि वह राज्य के शिव मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए अमुक दिन जाएगा।

 *इतना सुनते ही  मंदिर के पुजारी ने मंदिर की रंग रोगन और सजावट करना शुरू कर दिया, क्योंकि राजा आने वाले थे। इस खर्चे के लिए उसने सर सेठ हुकम चंद जी से  ₹6000/- का कर्ज लिया ।*

 नियत तिथि पर राजा मंदिर में दर्शन, पूजा, अर्चना के लिए पहुंचे और पूजा अर्चना करने के बाद आरती की थाली में *चार आने दक्षिणा* स्वरूप रखें और अपने महल में प्रस्थान कर गए !

 पूजा की थाली में चार आने देखकर पुजारी बड़ा नाराज मन ही मन हुआ, उसे लगा कि राजा जब मंदिर में आएंगे तो काफी दक्षिणा मिलेगी पर चार आने !!

*बहुत ही दुखी हुआ कि कर्ज कैसे चुका पाएगा, वह सर सेठ हुकम चंद जी के पास गया और उनसे उपाय पूछा हुकम चंद सेठ एक उपाय सोचा ! ओर पुजारी जी को कान में बता दिया!!*पुजारी जी ने अगले दीन पुरे इंदौर में ढिढोरा पिटवाया की राजा की दी हुई वस्तु को वह नीलाम कर रहा है।

 नीलामी पर उसने अपनी मुट्ठी में चार आने रखे पर मुट्ठी बंद रखी और किसी को दिखाई नहीं।

 *लोग समझे की राजा की दी हुई वस्तु बहुत अमूल्य होगी इसलिए बोली हुकमचंद सेठ ने  रु10,000/- से शुरू की*

*रु 10,000/- की बोली बढ़ते बढ़ते रु50,000/- तक पहुंची और पुजारी ने वो वस्तु फिर भी देने से इनकार कर दिया।* यह बात राजा के कानों तक पहुंची ।

राजा ने अपने सैनिकों से पुजारी को बुलवाया और पुजारी से निवेदन किया कि वह मेरी वस्तु को नीलाम ना करें मैं तुम्हें रु50,000/-की बजाय *सवा लाख रुपए* देता हूं और इस प्रकार राजा ने *सवा लाख रुपए देकर अपनी प्रजा के सामने अपनी इज्जत को बचाया  !*

तब से यह कहावत बनी *बंद मुट्ठी सवा लाख की खुल गई तो खाक की !!*

*यह मुहावरा आज भी प्रचलन में है।*

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