Thursday, February 3, 2022

सतसंग पाठ बसंतोत्सव 2022

 **राधास्वामी! -                        

03-02-2022-आज श सतसंग में पढे गये शब्द पाठ:-                                                      

(1)

 ऋतु बसंत आये सतगुरु जग में।

 चलो चरनन पर सीस धरो री।।

(प्रेमबानी-3-शब्द-3- पृ.सं.283,284)

 (अधिकतम् उपस्थिति-डेढगाँव ब्राँच उत्तरप्रदेश- @-14:35-दर्ज-107)                                                                   

(2)

बिरह प्रेम सतसँग की जागी।

 प्रीति मेरी गुरु चरनन लागी।।

(जीव की दया बसे मन माहिं।

देओ मुझको भी चरनन छाहिं।।)

(प्रेमबानी-1-शब्द-37- पृ.सं.301,302)                                                        (3)

आज साहब घर मंगलकारी। गाय रही सखियाँ मिल सारी।।

(प्रेमबिलास-शब्द-1- पृ.सं.5 )-(प्रेमनगर मोहल्ला -60)                                                                

(4)

प्रेम प्रचारक-विशेषांक-                                                                                               

सतसंग के बाद:-                                          

(1)-

राधास्वामी मूल नाम।                                                                                              (2)-

मिश्रित

शब्द पाठ एवं

 मेरे तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।

 सबके तो राधास्वामी दयाल।

मेरे तो तेरे तो सबके तो। राधास्वामी दयाल

दूसरो न कोई।

राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से

 जनम सुफल कर ले।।                                                                                                                                                                                                🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*


**राधास्वामी!                                             

आज शाम सतसंग में पढ़ा गया बचन-

(प्रेम प्रचारक विशेषांक:-)

(अर्ध - शतक 101

 राधास्वामी सम्वत् 204

 गुरुवार फ़रवरी 03 , 2022 अंक 13)-                                               

[ परम गुरु हुज़ूर डॉ.लाल साहब के अत्यंत दया भरे बचन ,दिवस 3]:-बसंत , 3 फ़रवरी 1987 को शाम के सतसंग के बाद पूज्य हुज़ूर ने फ़रमाया-

“ अभी जो बचन पढ़ा गया आपने सुना होगा । इस सिलसिले में शायद मेरा कुछ कहना ग़ैर - मुनासिब न हो , इस वास्ते मैं आपसे कुछ अर्ज करूँ । जो लोग बराबर दो - तीन दिन से शाम के सतसंग में यहाँ आते रहे हैं , उन्होंने सुना होगा कि रोज़ एक बचन पढ़ा जाता था जिसमें यह प्रार्थना स्वामीजी महाराज के चरणों में की गई कि बसंत के मौक़े पर वह दयालबाग़ तशरीफ़ लाएँ । आज जो बचन पढ़ा गया , उसमें भी यह बतलाया गया है कि शायद स्वामीजी महाराज सतसंग में तशरीफ़ रखते हैं ।

 आपको मालूम है कि जहाँ सतसंगी , बहुत से सतसंगी इकट्ठा हो करके , और कोई प्रार्थना दाता दयाल के चरणों में करते हैं , तो विशेष दया होती है ।

अब आप यह ग़ौर करें कि अगर यह बात सही है जैसा कि बचन में जो आज शाम को अभी पढ़ा गया , उसमें वर्णन किया गया है कि स्वामीजी महाराज सतसंग में पधारे हों , तो अब आप यह भी सोचें कि अगर स्वामीजी महाराज ने यह दया की कि दयालबाग़ में तशरीफ़ लाने की तकलीफ़ गवारा की तो यह ग़ैर मुमकिन है कि हुज़ूर साहबजी महाराज भी साथ तशरीफ़ न लाएँ क्योंकि दयालबाग़ तो उन्हीं ने क़ायम किया । तो अगर स्वामीजी महाराज यहाँ का inspection ( निरीक्षण ) करना चाहते हैं तो यह ज़रूरी है कि साहबजी महाराज वह सब चीज़ दिखावें जो उन्होंने 1915 में क़ायम की और यहाँ बहुत सी संस्थाएँ उस वक्त बीज रूप से शुरू हुईं और कुछ बढ़ीं

 अब और यह भी सोचें आप कि अगर हुज़ूर साहबजी महाराज दयालबाग़ में तशरीफ़ लावें तो यह कैसे हो सकता है कि परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज भी साथ न हों । क्योंकि उन्होंने तो यहाँ पर दिन - रात क़रीब 38 बरस दिन रात मेहनत करके , तकलीफ़ गवारा करके और सतसंगियों से काम ले कर , दयालबाग़ की पौध को सींच कर हरा भरा किया ।

आज जो आप दयालबाग़ देख रहे हैं , उनकी दया की वजह से आप देख रहे हैं, तो अगर स्वामीजी महाराज तशरीफ़ लावें और हुज़ूर साहबजी महाराज तशरीफ़ लावें और हुज़ूर मेहताजी महाराज तशरीफ़ लावें तो आप यह समझ लीजिये कि जो दयालबाग़ निवासियों ने इधर 8-10 रोज़ ख़ूब मेहनत करके दयालबाग़ की सफ़ाई की और दयालबाग़ कालोनी को चमकाया , वह इस वक्त देखा जावेगा ।

 आप यह भी मानिये कि जिन लोगों ने , आदमियों ने , औरतों ने , लड़कों ने , लड़कियों ने , बच्चों ने मेहनत करके यह काम किया है , और अगर आपका काम पसंद आ गया तो उन सब लोगों के ऊपर विशेष दया होगी । यह मत समझिये कि जो आपने उनके स्वागत में थोड़ी या बहुत अपनी सेवा का परिचय पेश किया , उसका कोई इनाम नहीं है । मैं यह कहूँगा कि आपको अब लगातार वही प्रार्थना करनी चाहिये कि हमारे गुरु महाराज दयालबाग़ में ही जैसा कि कल - परसों के बचन में भी था , हमेशा क़याम करें । अब एक पाठ और कर लीजिये ।                                                              प्रेमबिलास से- पाठ पढ़ा गया

 ' धन्य धन्य सखी भाग हमारे । ' ( शब्द 126 )                                                 

  ( पुनः प्रकाशित प्रेम प्रचारक 30 जनवरी 2006 )*


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