Sunday, October 3, 2021

अनहद नाद


 जिस रूह को सतगुरु एक बार अंदर अनहदनाद का दिव्य संगीत सुना देता है* उस रूह के अंदर सचखंड वापस जाने की विरह जाग्रत हो जाती है

 *सबसे पहले गुरु की शरण मे जाओ* और फिर सारे बाहरी कर्मकांड छोड़कर, नाम लेकर उसकी कमाई कनाम की कमाई करने का रास्ता छोड़कर* जिस भी रास्ते पर चलने की कोशिश करोगे, आखिर मौत के समय पछताना पड़ेगा कि *इतने कीमती वक्त को, बड़ी मुश्किल से मिले इन्सान के चोले को वहमोँ भ्रमों में फंसकर खराब कर दिया* क्योंकि नाम की कमाई के बिना कोई परमात्मा के पास पहुंच ही नहीं सकता *बेकार में यमदूतों के हाथों खराब होना पड़ता है* बार बार चौरासी के जेलखाने मेँ आना पड़ता है

*सब तीर्थों का पुण्यफल गुरु के चरण कमलों की शरण में समाया हुआ होता है* और चरण कमलों की शरण प्राप्त करने का एक ही तरीका

*केवल भजन सिमरन ध्यान की कमाई*

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