राधास्वामी! / 16-10-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
काहे री चरन गुरु भूली री सुरतिया ।।टेक ॥
बिन गुरु चरन आसरा नाहीं ।
क्यों नहिं उन उर धारो री सुरतिया ॥१॥
चेत सुनो अब सतसँग बचना ।
प्रीति लाय उन मानो री सुरतिया ॥२॥
सेवा कर आरत कर गुरु की ।
सत्तपुरुष सम जानो री सुरतिया ॥३॥
दरशन कर उनका हित चित से ।
दृष्टि जोड़ स्रत तानो री सुरतिया ॥४॥
राधास्वामी चरन सरन बल हिये घर । काल करम को जारो री सुरतिया ॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-5-पृ.सं.193)**
राधास्वामी!! - आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) गुरु सँग जागन का फल भारी।।-
(मैं तो अजान मर्म नहिं जाना। राधास्वामी कीन दया री।।)
(सारबचन-शब्द-11-पृ.सं.874,875-
अधिकतम् उपस्थिति
-जनकपुरी ब्राँच (दिल्ली)-@ 2:27 am दर्ज -84)
(2) काहे री चरन गुरु भूला री सुरतिया।।टेक।। -
(राधास्वामी चरन सरन बल हिये धर। काल करम को जारो री सुरतिया।।)
(प्रेमबानी-3-शब्द-5-पृ.सं.193)
सतसंग के बाद:-
(1)-राधास्वामी मूल नाम।
(2)-राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से जनम सुफल कर ले।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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