**राधास्वामी! / 21-10-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
मैं गुरु प्यारे के चरनों की दासी॥टेक॥
नित उठ दरशन करूँ उमँग से ।
हार चढ़ाऊँ अपने गुरु सुख रासी ॥१॥
मत्था टेक लेउँ लेउँ परशादी ।
करम भरम सब होते नाशी।।२।।
प्रीति बढ़त गुरु चरनन निस दिन ।
जग से रहती सहज उदासी ॥३॥
शब्द कमाई करूँ प्रेम से ।
मगन होय रहूँ नित गुरु पासी ॥४॥ राधास्वामी मेहर से काज बनाओ । दी
जे मोहि निज चरन बिलासी ॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-1- प्रेमतरंग-
पृ.सं.195, 196)**
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