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एक बार किसी विद्वान् से
एक बूढ़ी औरत ने पूछा कि
क्या इश्वर सच में होता है ?
.
उस विद्वान् ने कहा कि
माई आप क्या करती हो ?
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उसने कहा कि मै तो दिन
भर घर में अपना चरखा
कातती हूँ और घर के बाकि
काम करती हूँ , और मेरे
पति खेती करते हैं .
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उस विद्वान ने कहा कि
माई क्या ऐसा भी कभी
हुआ है कि आप का चरखा
बिना आपके चलाये चला
हो , या कि बिना किसी के
चलाये चला हो ?
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उसने कहा ऐसा कैसे
हो सकता है कि वो बिना
किसी के चलाये चल जाये ?
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ऐसा तो संभव ही नहीं है.
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विद्वान् ने फिर कहा कि
माई अगर आपका चरखा
बिना किसी के चलाये नहीं
चल सकता.....
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तो फिर ये पूरी सृष्टि किसी
के बिना चलाये कैसे चल
सकती है ?
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और जो इस पूरी सृष्टि
को चला रहा है वही इसका
बनाने वाला भी है और उसे
ही इश्वर कहते हैं.
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उसी तरह किसी और
ने उसी विद्वान् से पूछा कि
आदमी मजबूर है या सक्षम ?
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उन्होंने कहा कि अपना
एक पैर उठाओ, उसने
उठा दिया,
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उन्होंने कहा कि अब
अपना दूसरा पैर भी उठाओ,
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उस व्यक्ति ने कहा ऐसा
कैसे हो सकता है ?
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मै एक साथ दोनों पैर
कैसे उठा सकता हूँ ?
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तब उस विद्वान् ने कहा
कि इंसान ऐसा ही है,
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ना पूरी तरह से मजबूर
और ना ही पूरी तरह से
सक्षम
.
उसे इश्वर ने एक हद तक
सक्षम बनाया है और उसे
पूरी तरह से छूट भी नहीं है .
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उसको इश्वर ने सही गलत
को समझने कि शक्ति दी है...
.
और अब उस पर निर्भर
करता है कि वो सही और
गलत को समझ कर अपने
कर्म को करे...
राधे राधे❤️🙏
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