**राधास्वामी!
24-10-2021-
आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
जब से मैं देखा राधास्वामी का मुखड़ा ॥टेक ॥
मोहित हुई तन मन सुध भूली ।
छोड़ दिया सब जग का झगड़ा॥१॥ राधास्वामी छबि छा गई नैनन में ।
नहीं सुहावे मोहि अब कोई रगड़ा ॥२।।
नित्त बिलास करूँ दरशन का ।
भर भर प्रेम हुआ मन तकड़ा॥३।।
मेहर हुई स्रुत चढ़त अधर में ।
छोड़ चली अब काया' छकड़ा ॥४॥ राधास्वामी मेहर करी अब भारी । छिन छिन मन चरनन में जकड़ा ॥५।। (
प्रेमबानी-3-शब्द-4-पृ.सं.197,198)
🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿🙏🏿
No comments:
Post a Comment