Tuesday, October 5, 2021

गुरू महिमा*


प्रस्तुति - रेणु दत्ता / आशा सिन्हा



एक बार एक गुरूमुख सेवा करने के लिए आया हुआ था, दस दिन की सेवा खत्म होने के बाद वो घर जाने वाला था कि एक दिन पहले उसकी टांग टूट गयी*

वह काफी दुखी हुआ और उसके मन में ख्याल आया कि दस दिन सेवा की और उसके बदले में टांग टूट गयी.... *सतगुरु  तो सब जानते हैं* 

जब गुरू महाराज जी उस गुरूमुख से मिले, और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा कि आज रात को भजन पर जरूर बैठना।

*जब वह रात को भजन करने के लिए बैठा तो गुरू महाराज जी उसकी चेतना को ऊपर के मंडलों में ले गए* और उसको दिखाया कि जिस बस में उसने वापिस जाना था उसका एक्सीडेंट हो गया था, 

और उस एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गयी थी, *महाराज जी ने उसकी चेतना को उसका मृत शरीर भी दिखाया,* क्योंकि वह सतगुरु की शरण में आया हुआ था इसलिए महाराज जी ने उसके कर्म काटकर उसकी सिर्फ टांग ही टूटने दी ।

*जब उसकी चेतना नीचे सिमटी तो उसका रो रो कर बुरा हाल हुआ* और उसने महाराज जी से प्रार्थना कि कि  बक्श दो – बक्श दो


सार – *सतगुरु पर हमें पूरा विश्वास होना चाहिए*, वो हमारा बाल भी बांका नहीं होने देते, और जो हमारे साथ होता है उसमें कहीं न कहीं हमारा अच्छा ही होता है….

 *हम जो घड़ी, आधी घड़ी, घंटा दो घंटा भजन पर बैठते है वो उस तरह है जैसे हम कोई बिमा पालिसी में थोड़ी थोड़ी रकम किश्तों के रूप में भरते है।

*फिर जब बिमा पालिसी पक जाती है तब एक बड़ी राशि हमें इंटरेस्ट के साथ बोनस के साथ वापिस मिलती है।*

ठीक उसी तरह थोड़ा थोड़ा किया भजन एक दिन बहुत बड़े ब्याज और बोनस के साथ हमें सतगुरू एक साथ देता है।

*कतरे कतरे से तालाब और बूँद से सागर भरता है। हम यदि निस्वार्थ भाव में मिट्टी की एक टोकरी भी उठाते है सतगुरू हमें उसकी भी मजदूरी देता है।*

आओ आज से हम भजन की बीमा पॉलिसी में थोड़ा थोड़ा भजन की किश्त अदा करे ।

*फिर आगे की गुरु पर छोड़ दे। वो हमारे आधे अधुरे भजन की लाज रखेंगे।*🙏🌹

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