**राधास्वामी! / 25-10-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
राधास्वामी छबि मेरे हिये बस गई री ॥टेक ॥
राधास्वामी शोभा क्योंकर गाऊँ ।
नैन कँवल दृष्टी जोड़ दई री ॥१॥ दरस रूप रस बरनूँ कैसे ।
नर देह मेरी आज सुफल भई री ॥२॥
नित नित ध्याय रहूँ गुरु रूपा ।
घट में आनँद बिमल लई री॥३॥ बिन प्रीतम बहु जनम बिताये ।
और बिपता बहु भाँत सही री ॥४॥
अब मोहि राधास्वामी मिले भाग से ।
चरन लगाय निज सरन दई री ॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-5-पृ.सं.198)**
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