**राधास्वामी! 20-10-2021-/ आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारा आरत लाया।
चरन सरन में धावत आया ॥१॥
खेलत बिगसत सतगुरु चरना ।
दरशन कर हिये आनँद भरना ॥२॥
सतसँगियन सँग प्रीति बढ़ावत ।
छिन छिन सतगुरु पुरुष रिझावत ॥३॥
बचन सुनत हिये प्रेम बढ़ाता ।
सेवा कर निज भाग जगाता ॥४॥ राधास्वामी रूप हिये बिच धरता । सुरत शब्द ले नभ पर चढ़ता ॥५॥
गगन मँडल घस दास कहाता ।
सुन्न सरोवर अमी चुआता ॥६॥
भँवरगुफा मुरली धुन गाता ।
सत्तलोक चढ़ बीन बजाता ॥७॥
अलख अगम दोउ मेहर कराई ।
राधास्वामी गोद बिठाई ॥८॥
नित्त बिलास देख हरषत मन ।
कौन करे यह दया राधास्वामी बिन ॥९॥
राधास्वामी दया भाग से पाई ।
मन और सूरत वार धराई ॥१०॥
राधास्वामी गति अति अगम बखानी ।
बार बार उन चरन नमामी ॥११।।
(प्रेमबानी-1-शब्द-39-पृ.सं.192,193)**
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