*राधास्वामी! आज सुबह पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
करो री सुरत गुरु चरन अधारा ॥टेक ॥
गुरु सम कोइ हितकारी नाहीं ।
उनकी दया का लेओ री सहारा ॥ १ ॥
बचन सुनाय सुधारें तुझको |
भेद बतावें धुर दरबारा ॥ २ ॥
घर चालन की जुगत बतावें ।
सुरत शब्द का मारग सारा ॥ ३।।
भक्ति रीत सिखावे तुझको।
जगत जाल से करें नियारा।।४॥
परम पुरुष राधास्वामी चरनन में ।
मेहर से दें तोहि प्रेम करारा ॥ ५ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-6-
पृ.सं.193,194)
*राधास्वामी!
आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला पहला पाठ:-
सावन मास सुहागिन आई। अपने पिया सँग झूलन आई।।
(सारबचन-शब्द-2-पृ.सं. 854,855)
( करनाल ब्राँच हरियाणा)
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