*राधास्वामी!* *
24-10-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
गावे आरती सेवक पूरा ।
छिन छिन पल पल मन को चूरा ॥१॥
दम दम सूरत चरन लगावत ।
दरशन रस ले तृप्त अघावत।।२।।*
सतसँग कर नित करम सुलावत ।
सेवा कर निज भाग जगावत ॥३॥
गुरु मत ठान सुमत हिये धारत ।
मनमत छोड़ कुमत नित जारत ॥४॥ राधा राधा नाम पुकारत ।
स्वामी स्वामी हिये बिच गावत ॥५॥
कल मल काल कलेश हटावत ।
मिल मिल शब्द सुरत नभ धावत ॥६॥ जगमग जोत निरख चित हरखत ।
बंकनाल धस गुरु धुन परखत ॥७॥*
*सुन में जाय मानसर न्हावत ।
किंगरी सारंगी शोर मचावत ॥८॥
महासुन्न के ऊपर धावत।
मुरली धुन सँग राग सुनावत।।९।।
सत्तलोक जाय बीन बजावत ।
सत्तपुरुष का दरशन पावत ॥१०॥
अलख अगम के पार चढ़ावत ।
राधास्वामी चरन धियावत ॥११।।
हुए प्रसन्न राधास्वामी दयाला ।
प्यार किया और किया निहाला ॥१२॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-42-पृ.सं.197,198)**
राधास्वामी!
आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला-पहला पाठ:-
परम गुरु राधास्वामी प्यारे,जगत में देह घर आये,
शब्द का देके उपदेशा, हंस जिव लीन मुकताये ॥१॥
किया सतसंग नित जारी ,
दया जीवों पै की भारी,
करम और भरम गये सारे,
जीव चरनों में घिर आये ॥२॥
भक्ति का आप दे दाना,
दिया जीवन को सामाना ,
देख हुआ काल हैराना,
रही माया भी मुरझाये ॥३॥
बढ़ा कर चरन में प्रीती ,
दई घट शब्द परतीती ,
काल और करम को जीती ,
सुरत मन उलट कर धाये ॥४॥
जोत लख सूर निरखा री,
परे सत शब्द परखा री,
अलख और अगम पेखा री,
चरन राधास्वामी परमाये ॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-3-पृ.सं.218)
(करनाल ब्राँच हरियाणा।)
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