राधास्वामी! / 13-10-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
कैसे मिलूँ री पिया से चढ़ गगन गली ॥टेक ॥
रैन अँधेरी और बाट अनेड़ी ।
कोड संग न साथी कहाँ जाऊँरी अली।।१।।
खोज करो गुरु दीन दयाला ।
जोगी ज्ञानी रहे तलीं ॥२॥
शब्द भेद ले सुरत चढ़ाओ ।
निरखो नभ चढ़ जोत बली ॥३॥
त्रिकुटी जाय सुनो अनहद धुन ।
सुन्न में हंसन संग रली ॥४॥
सत्तपुरुष का रूप निरख कर
राधास्वामी चरनन जाय मिली ॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-2-पृ.सं.191)
राधास्वामी! / 13-10-2021-
आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सखी री क्या महिमा गाऊँ री।।टेक।।
सतगुरु मेरे परम सनेही।
आये घर औतार।।१।।
चरन सरन दे भाग बढ़ाये ।
किया जीव उपकार ॥२॥ दया करी मोहि निरमल कीन्हा
निज सेवा दई कर प्यार ॥ ३ ॥
बिघन अनेकन दूर सब कराये ।
करम भरम सब टार।।४।।
किरपा कर निज बचन सुनाये ।
प्रीति प्रतीति बढ़ाई सार ॥ ५ ॥
मैं अजान गति मति नहिं जानी ।
भेद दिया निज सार ॥६ ॥
ऐसे समरथ राधास्वामी पाये ।
तन मन देती वार॥ ७ ॥ ◆◆◆◆कल से आगे◆◆◆◆
सुख आनंद कहाँ लग बरनूँ ।
भूल गई संसार ॥ ८ ॥
मेहर करी स्रुत गगन चढ़ाई ।
पहुँची दरबार ॥ ९ ॥
मानसरोवर मंजन करके ।
सत्तलोक गई सुरत सुधार ॥ १० ॥
अलख अगम के पार सिधारी ।
राधास्वामी चरन सम्हार ॥११ ॥ आरत
कर निज भाग जगाऊँ ।
राधास्वामी प्यारे हुए दयार ॥१२ ॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-35-पृ.सं.185,186,187)
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