**राधास्वामी ! आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला पहला पाठ:-
प्रेम भक्ति गुरु धार हिये में ,
आया सेवक प्यारा प्यारा हो || टेक ॥
उमँग उमँग कर तन मन धन को ।
गुरु चरनन पर वारा हो ॥१॥
गुरु दरशन कर बिगसत मन में ।
रूप हिये में धारा हो ॥२॥
आठ पहर गुरु संग रहावे ।
जग से रहता न्यारा हो ॥३॥
मन माया को आँख दिखावे ।
गुरु बल सूर करारा हो ॥४॥
शब्द डोर गह चढ़ता घट में ।
पहुँचा गगन मँझारा हो।।५।।
आगे चल सुनी सारँग किंगरी ।
मुरली बीन सितारा हो ॥६।।
राधास्वामी मेहर से दीना ।
निज पद अगम पारा हो ॥७॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-3-पृ.सं.264)
करनाल ब्राँच (हरियाणा)!**
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