राधास्वामी! 22-10-2021
-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सखी री मेरा घर का भाग जगा री ।
जगत मोहि लागा ज्यों सुपना री ॥१॥
मेहर से दूर हुआ तपना री ।
नहीं अब मोह जाल खपना री ॥२॥ नाम राधास्वामी छिन २ जपना री ।
चरन में सतगुरु के पकना री।।३।।
दरश गुरु पल पल अब तकना री । ध्यान गुरु नैन नहीं झपना री।।४।।
चेत कर सुनती गुरु बचना ।
करम और धरम नहीं पचना ॥५॥
मान और मोह तुरत तजना री ।
प्रीति मेरी लागी गुरु चरना री ॥६॥ गुरु मेरे पुरुषोत्तम सजना री ।
नाम उन हिय से नित भजना री ॥७॥ तिरशना अगिन नहीं जलना री ।
काम और क्रोध नित्त दलना री ॥८॥ पकड़ धुन घट में नित चलना री ।
गोद में सतगुरु के पलना री ॥९॥
◆◆◆ कल से आगे◆◆◆
जीव जग फँसे मुआ नलना री।
भोगते नरक कुंड बलना री ॥१०॥
गुरु बिन कैसे जग तरना री
छुटे नहिं कभी जनम मरना री ॥११॥
चरन गुरु हिरदे में भरना री ।
गहो अब दृढ़ कर गुरु सरना री ॥१२॥ प्रेम गुरु नित हिये में भरना री ।
तजो सब काम यही करना री ॥१३॥ काल से फिर कुछ नहिं डरना री ।
सहज में भौसागर तरना री ॥१४॥ आरती गुरु चरनन करना री ।
सुरत सतगुरु पद में धरना री ॥१५॥ चरन में राधास्वामी फिर पड़ना री । सदा फिर प्यारे सँग रहना री ॥१६॥ नित्त गुरु महिमा मुख कहना री ।
दया राधास्वामी छिन २ लेना री ॥१७॥
(प्रेमबानी-1-शब्द-40-पृ.सं.193,194,195)
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