**राधास्वामी ! / आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला पहला पाठ:-
कोई दिन का जग में रहना सखी ।
ले सुध बुध घर की ओर चलो ||टेक।।
यहाँ दूत दिखावें ज़ोर घना |
और इंद्री नाच नचावें मना ॥
इन सबको दीजे वेग हटा ।
कुल काल करम का आज दलों ॥१ ॥
सतगुरु का खोज करो भाई उन चरनन प्रीति घरो आई ||
प्रेमी जन मे मेल मिलाई ।
सतसंगत में उमँग रलो ॥ २ ॥
गुरु देवें घर का भेद बता ।
स्रुत शब्द का दें उपदेश सचा ॥
तब घट में अपने धूम मचा ।
गुरु शब्द से चढ़ कर जाय मिलो ॥ ३ ॥
फिर वहाँ से अधर चढ़ो प्यारी ।
धुन मुरली बीन सुनो सारी ॥
मन माया काल रहे वारी ।
सतगुरु की गोद में जाय पलो ॥ ४ ॥
सतपुर से भी अधर चलो ।
घर अलख अगम के पार बसो ॥
लख अचरज लीला मगन रहो ।
राधास्वामी चरन में जाय घुलो ॥ ५।।
(प्रेमबानी-4-शब्द-2-पृ.सं. 90,92)*
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