**राधास्वामी! / 14-10-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
कैसे चलें री अधर चढ़ सुन नगरी ॥टेक ॥
मन मेरा चंचल चित्त मलीना ।
गैल कठिन कस धरू पग परी ॥१॥
गुरु दयाल बिन कौन सहाई ।
उनके चरन में रहूँ लग री ॥२॥
वे दयाल जब दया बिचारें ।
तब स्रुत चढ़े अधर डगरी ॥३॥
काल करम को दूर हटावे।
और निकारें माया मगरी ॥४॥
सहसकँवल चढ़ त्रिकुटी धाई ।
सुन में हंसन सँग पग री ॥५॥
मुरली धुन सुन आगे चाली |
महाकाल भी रहा थक री ॥६॥
पुरुष दया ले अधर सिधारी । राधास्वामी चरन माहिं जकड़ी ॥७॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-3-पृ.सं.191,192)**
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