**राधास्वामी! / l 15-10-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
कैसे गहूँ री सरन गुरु बिन परतीत ॥ टेक ॥
मन इंद्री भोगन में अटके ।
नेक न छोड़ें जग की प्रीत ॥१॥
बचन सुनत और फिर बिसरावत ।
चित्त न धारें भक्ती रीत ॥२॥ काल करम मोहि नित भरमावें ।
बिन गुरु दया इन्हें कस जीत ॥३॥
मेहर करें सतगुरु जब अपनी ।
दूर हटावें सभी अनीत ॥४॥
हे राधास्वामी अब दया बिचारो ।
मेरे हिये में बसाओ चरन पुनीत ॥ ५ ॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-4-पृ.सं.192)
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