Saturday, January 15, 2022

सुनो बीनती स्वामी महाराज

: राधास्वामी!

 16-01-2022-आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला दूसरा पाठ:-

 सुनो बीनती स्वामी महाराज ।

अपना कर मेरी राखो लाज॥१॥

 मन इन्द्री मोहि अति भरमावत ।

 चित चंचल मेरा थिर न रहावत॥२॥

 दया तुम्हार निरख रहा दम दम ।

 फिर भी यह मन धावत हर दम॥३॥

 रोक रोक याहि चरन लगाता ।

चुप नहिं रहे फिरे मद माता॥४॥

 अनेक गुनावन रहे उठाई । तरह तरह के रंग दिखाई॥५॥

 कोइ विधि सुरत न लगने पावे ।

 धुन रस ले मन नहिं त्रिपतावे॥६॥

बहु दिन अस खटपट में बीते ।

 काल करम अब तक नहिं जीते॥७॥

मैं नहिं जानूँ मौज तुम्हारी ।

क्यों नहिं इनको मार निकारी॥८॥

मैं निर्बल क्या लड़ने जोगा ।

 दया करो काटो यह रोगा॥९॥

निरमल होय मन बैठे घर में ।

 सुरत बिहंगम चढ़े अधर में॥१०॥

 साँची प्रीति लगे घट धुन में ।

 अमृत रस पीवे चढ़ सुन में॥११॥

 निर्भय होय जगत को त्यागे ।

मान मनी तज घर को भागे।।१२।।

निस दिन रहूँ आनँद में चूर ।

 प्रेम दात दीजे भरपूर॥१३॥

 दृढ़ कर पकड़े चरन तुम्हारे ।

तुम बिन नहिं कोई और अधारे॥१४॥

 जल्दी करो देर क्यों धारी । राधास्वामी अब मोहि लेव सम्हारी।।१५।।

 (प्रेमबानी-3-शब्द-5- पृ.सं.275,276,277)

  : *राधास्वामी! आज सुबह सतसंग में पढ़ा जाने वाला पहला पाठ:-


जाग री उठ खेल सुहागिन। पिया मिले बड़े भाग।

 (सारबचन- शब्द-28-पृ.सं.552,553)

 (डेढगाँव ब्राँच- बहुत बहुत बधाई हो।)

🌹🌹* 🌹 Satsang Started.🌹 🎤 📡 📢 📲 🔊 🌹

सतसंग प्रारंभ ।🌹*

 **राधास्वामी!! - 16-01-2022-आज रविवार सुबह सतसंग में पढे गये शब्द पाठ:-

 (1) जाग री उठ खेल सुहागिन। पिया मिले बड़े भाग।।

(सारबचन-शब्द-28 -पृ.सं.552,553) (अधिकतम् उपस्थिति-डेढगाँव ब्राँच उत्तरप्रदेश।)

 (2) सुनो बिनती स्वामी महाराज।

अपना कर मेरी राखो लाज।।

 मैं निर्बल क्या लड़ने जोगा। दया करो काटो यह रोगा।।।-

(जल्दी करो देर क्यों धारी। राधास्वामी अब मोहि लेव सम्हारी।।

(प्रेमबानी-3-शब्द-5- पृ.सं.275,276,277)

 (3) खेल गुरु सँग आज री। मेरी प्यारी सुरतिया।।टेक।।

 (प्रेमबानी-2-शब्द-74- पृ.सं.341,342)

(कार्यवीर नगर मोहल्रा-उपस्थिति-59)

 सतसंग के बाद:-

 (1)-राधास्वामी मूल नाम। सतसंग के बाद विद्यार्थियों द्वारा पढ़े गये शब्द पाठ:-

(१) आज घड़ी अति पावन भावन।

राधास्वामी आये जक्त चितावन।।

(सारबचन-शब्द-4- पृ.सं.556)

(२) गुरु मेरे प्रगटे जग में आय।

आरती उधकी करूँ सजाय।।

(प्रेमबानी-1-शब्द-8- पृ.सं.86,87)

(३) निज गुन भाट जगत बहुतेरे।

पर गुन ग्राहक नर न घनेरे।।

(अमृत बचन- पृ.सं.205))


 (४) मेरे तो राधास्वामी दयाल।

 दूसरो न कोई।।

 (५) तमन्ना यही है-(संस्कृत)

 (2)-मिश्रित शब्द पाठ एवं मेरे तो राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।

 सबके तो राधास्वामी दयाल।

मेरे तो तेरे तो सबके तो। राधास्वामी दयाल दूसरो न कोई।

राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से

 जनम सुफल कर ले।।

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*

 *ज़मीमा:-॥ चौपाई।।

निज गुन भाट जगत बहुतेरे । पर गुन ग्राहक नर न घनेरे ।। १ ।।

 जे छिन छिन निज गुन उच्चरहीं ।

समय परे पर कछु नहि करहीं ॥ २ ॥

ममता त्याग करे जो करनी ।

 सपने अहँग चित्त नहिं धरनी।।३।।

 पर गुन जिन रवि उदय समाना।

 निज आचरन खद्योत निमाना।।४।।

 सत्य साधु करनी तिन केरी।

ज्ञान मूर मय सुखद घनेरी ॥ ५ ॥

 शशि सम सीतल बैन सुबैनू ।

 श्रवन परत उर पावत चैनू।।६।।

 बड़े भाग अस साध सुसंगू । कलमल हरन मोह मद भंगू ॥ ७ ॥

अविरल भक्ति प्रेम मन लावन ।

 गुरु चरनन चित उमँग बढ़ावन ॥ ८ ॥

 (अमृत बचन-पृ.स.205)*



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