Monday, January 3, 2022

कहे कबीर ता दास को, तीन लोकों भय नाही।*

 *आज का अमृत*/ कृष्ण मेहता 

*गुरु को सिर राखिये, चलिए आज्ञा माही।*

*कहे कबीर ता दास को, तीन लोकों भय नाही।*


🍃🍁🍃गुरु आज्ञा🍃🍁🍃

 

गोपिचंद एक राजा हुए है वह जब राज पाट छोड कर गुरु शरण मे जाने लगे तो उनकी माता ने कहा - बेटा जा तो रहे हो पर वहाँ मजबूत किले मे ही रहना 

गोपिचंद- माँ मजबूत किले मे ? वहा खुले मे खुले आकाश मे रहना होगा ।

माँ --तुम समझे नही मै कोई ईट गिरे के किए की बात नही कर रही  ! गुरु आज्ञा रूपी मजबूत किले की बात कर रही हूँ गुरु की  आज्ञा शिष्य, के लिए एक मजबूत किला ही होती है गुरु सदैव शिष्य का भला ही सोचते है इसलिए वहाँ तन मन से गुरु की आज्ञा का पालन करना ! सदैव सुद्रड किले मे ही रहना 

ऐसे ही राजा चंद्र गुप्त मोर्य अपने गुरु की आज्ञा मे ही रहते सदैव!  


चंद्रगुप्त मोर्य के  लिए एक बार एक बहुत ही  विशाल ओर सुंदर महल बनवाया गया  ओर जब उसका उदघाटन का समय आया तो चंद्रगुप्त ने अपने गुरु चाण्कय जी को उदघाटन के लिए विनय की 

जब उदघाटन का समय महल का नाम निरिषण कर  गुरुदेव ने आज्ञा दी की अभी इसी वक्त इस महल को आग लगा दी जाये !

सभी हैरान परेशान हो गये कुछ लोग राजा को समझने लगे ऐसा मत करना इतना सुंदर महल जला कर राख मत करना 

परंतु चंद्र गुप्त को गुरु आज्ञा से बड कर कुछ भी था ! ओर उसने उसी वक्त महल को जला ने की आज्ञा दे दी चारो तरफ से महल जला दिया गया ! 

अब जब चारो तरफ से आग पूरे महल मे लगा दी तो बहुत सी चीख पुकार कि आवाजे आने लगी  ! चंद्र गुप्त ने गुरुवर की तरफ देखा हैरान हो कर!  गुरु ने कहा -जब महल जल जाये तो खुद देख लेना ! 

ओर जब महल जल कर राख हो गया तो देखा बहुत से मनुष्य की जली हुई लाशे मिली !

अब गुरूवर ने बताया कि दुश्मन ने तुम्हें मारने का षड्यंत्र रचा था सुरंग बना कर यदि तुम महल मे रहते तो तुम्हारी हत्या कर दी जाती ! 

सभी गुरु के नत मस्तक हुए आज आप न होते तो हम अपने राजा को खो देते यदि राजा आप की आज्ञा का पालन ना करते तो जीवन समाप्त हो जाता अच्छा है जो राजा ने हमारी बात नही मानी ऐसा कह सारी प्रजा गुरु ,को प्रणाम करने लगी !


हम सब अंतःकरण से गुरु वर से यही प्राथना करते है 

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हे ! गुरुवर तू रहे  और तेरी आरजू रहे , 

न मै रहू ओर ना  मेरी चाह रहे  , 


विचार-  आप स्वयं करे !!

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