Friday, March 18, 2022

होली:/ -( परम गुरु हुज़ूर सरकार साहब )

 राधास्वामी दयाल की दया

राधास्वामी सहाय-

(ई - प्रेम प्रचारक ( दैनिक )

राधास्वामी सम्वत् 204

अर्ध - शतक 101

सोमवार मार्च 14 , 2022 अंक 18-दिवस-1-7-

 होली:-( परम गुरु हुज़ूर सरकार साहब )


 परम पिता स्वामीजी महाराज की बानी में आया है : '

फागुन मास रँगीला आया ।

घर घर बाजे गाजे लाया ।। '

 और भी फ़रमाया है : '

 यह नरदेही फागुन मास सुरत सखी आई करन बिलास ।। '

 उसी शब्द में आगे यों भी फ़रमाया है : '

 तुझको फिर कर फागुन आया ।

 सम्हल खेलियो हम समझाया ।।

' गोया संतों ने फागुन मास को नर - देह से उपमा देकर उसकी ख़ास महिमा फ़रमाई है और निहायत मुनासिब , क्योंकि इस परम उत्तम देह में , जिसमें आदि से अंत तक के द्वारे मौजूद हैं और जिसमें अनन्त शब्द झनकार रहे हैं और नित्य आरती हो रही है और जिसमें बैठकर सुरत परम बिलास को प्राप्त हो सकती है , ऐसी महा अचरजी और सुखदायक वस्तु की उपमा साल के सबसे बढ़ कर आनन्द और बिलास भरे मास से ही दी जा सकती थी । इससे बेहतर उपमा का अनुमान भी नहीं हो सकता ।


 मगर साथ ही साथ जैसा कि तीसरी कड़ी मजकूराबाला में फ़रमाया है यह हिदायत की कि ऐसी उत्तम देह पाकर सम्हल के इस संसार में खेलना , तब निर्मल बिलास प्राप्त हो सकता है ।

 मतलब यह कि जो देह धारण करके संसार के कीचड़ व ग़लीज़ में ऐसी उत्तम अवस्था को खो देते हैं वे अंत को महा दुःख को प्राप्त होते हैं । लेकिन अगर ऐसे समय में मालिक की भजन - बंदगी , सेवा , सतसंग , गुरु - भक्ति वग़ैरह का रंग खिले और जीव इस तरह पर अपनी अनमोल देह को सफल करे , तो यहाँ भी आनन्द और अंत को चरनों का परम बिलास पाकर अमर सुख को प्राप्त हो जावे ।

यह तो वर्णन जीवों की अन्तरी काररवाई का हुआ । इस नवीन उपमा के अनुसार स्वाभाविक ऐसा ही होना चाहिए था कि जहाँ संसारी जीव इस उत्तम समय होली को महा अपवित्र और नीरस कामों में आमतौर पर खोया करते हैं , उस समय पर भक्तजन अपने परम हितकारी संत सतगुरु के हुज़ूर में बैठ कर नवीन रस , आनन्द और बिलास करें ।

( प्रेमसमाचार)                                                             

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


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