Friday, March 18, 2022

मैं हर पल तेरे साथ हूं

 *"उदास मत होना,  मैं हर पल,  हर क्षण, हर जगह तुम्हारे साथ हूंँ ।"*


   


      एक शहर में प्रतिवर्ष माता पिता अपने पुत्र को गर्मी की छुट्टियों में उसके दादा  दादी के घर ले जाते। 10-20 दिन सब वहीं रहते, और फिर लौट आते।

         ऐसा प्रतिवर्ष चलता रहा। बालक थोड़ा बड़ा हो गया।

                  एक दिन उस बालक ने अपने माता पिता से कहा कि  अब मैं अकेला भी दादी के घर जा सकता हूंँ,  तो आप मुझे अकेले को दादी के घर जाने दो।

        माता पिता पहले  तो राजी नहीं हुए। परंतु बालक ने जब जोर दिया तो उसको सारी सावधानी समझाते हुए अनुमति दे दी।

जाने का दिन आया। पिता बालक को छोड़ने स्टेशन पर गए।

 ट्रेन में उसको उसकी सीट पर बिठाया। फिर बाहर आकर खिड़की में से उससे बात की। उसको सारी सावधानियांँ फिर से समझाईं।

      बालक ने कहा कि मुझे सब याद है। आप चिंता मत करो।

       ट्रेन को सिग्नल मिला। ट्रेन की व्हीसिल लगी। तब  पिता ने.....

        एक लिफाफा पुत्र को दिया और कहा कि बेटा अगर रास्ते में तुझे डर लगे तो यह लिफाफा खोल कर इसमें जो लिखा उसको पढ़ना।

      बालक ने पत्र जेब में रख लिया।

       पिता ने हाथ हिलाकर विदा किया। ट्रेन चलती रही। हर स्टेशन पर नए लोग आते रहे, पुराने उतरते रहे।

सबके साथ कोई न कोई था।

         *अब बालक को अकेलापन लगने लगा।*


  अगले स्टेशन पर ट्रेन में ऐसी शख्सियत आई जिसका चेहरा बहुत भयानक था।

          बालक पहली बार बिना माता-पिता के, बिना किसी सहयोगी के, यात्रा कर रहा था।

         उसने अपनी आंँखें बंद कर सोने का प्रयास किया, परंतु बार-बार वह भयानक चेहरा उसकी आंँखों के सामने घूमने लगा। बालक भयभीत हो गया। रुआँसा हो गया।

        तब उसको पिता की चिट्ठी  याद आई। 

 उसने जेब में हाथ डाला, हाथ कांँप रहा था, पत्र निकाला। लिफाफा खोला और पढ़ा।

       *पिता ने लिखा था -*

          👇 👇 👇

*तू डरना मत, मैं पास वाले कंपार्टमेंट में ही हूँ, इसी गाड़ी में बैठा हूंँ।*


बालक का चेहरा खिल उठा, सब डर काफूर हो गया। 


*जीवन भी ऐसा ही है।*

जब मालिक ने हमको इस दुनिया में भेजा, उस समय उन्होंने हमको भी एक पत्र दिया है, जिसमें लिखा है :

*"उदास मत होना, मैं हर पल,  हर क्षण, हर जगह तुम्हारे साथ हूंँ ।"*

*"पूरी यात्रा तुम्हारे साथ करता हूंँ,   केवल तुम मुझे स्मरण रखते रहो, सच्चे मन से याद करना, मैं एक पल में आ जाऊंँगा।"*


       *इसलिए चिंता नहीं करना, घबराना नहीं, हताश नहीं होना।*

       चिंता करने से मानसिक और शारीरिक दोनों स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं।

    *मालिक पर, दाता दयाल पर, अपने इष्ट पर, अपने परम पिता पर,  हर क्षण विश्वास रखें।*


वह हमेशा -

*हमारे साथ हैं हमारी पूरी यात्रा के दौरान, अन्तिम श्वास तक।*

बस......

    *इसी एक एहसास को ही कायम रखने का प्रयास करते रहना है*

                       🙏🙏🙏


सब कुछ........

*उस परम दयालु मालिक पर छोड़ दें,  जिसकी मर्ज़ी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल सकता !*

                        🙏🙏🙏

🙏🙏🙏🙏 *राधास्वामी* 🙏🙏🙏🙏

                        🙏🙏🙏

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