Sunday, March 20, 2022

उसने कहा.../ सीमा मधुरिमा

 


 उसने कहा प्रेम है तुमसे

 और इसके बाद वह  खो गया अपनी दुनिया में..

 उसकी अपनी एक अलग दुनिया थी

 उस दुनिया में मेरा कहीं कोई नाम ना था...

 और ना ही कोई मेरा निशान...


 उसने कभी अपना समय मुझे नहीं दिया...

 पर हर बार वो कहता रहा

 वो मुझे बहुत प्रेम करता है...

 मैं भी उसके प्रेम को समझने के प्रयास में हूँ...

 उसने कहा उसे परवाह है मेरी...

 और इसके बाद उसने सबकी परवाह की मेरे सिवा..

 उसकी परवाह में खुद को ढूंढती मैं..

 जाने कितने गहरे उतरते गयी..

 पर हो नहीं पाई एक भी परवाह उसके पास मेरे लिए...

 उसने कहा..

 समर्पित हूँ तुम्हें और केवल तुम्हें ...

 और मैं टटोलने लगी अपने वजूद को...

 जिसमें उसका समर्पण ढूंढ़ सकूँ..

 और आज भी अपने वजूद में उसका समर्पण ढूंढ ही रही हूं मैं...

 वो कहता रहा मैं सुनती रही..

 वो कहता रहा मैं मानती रही..

 यही तो करती आई है स्त्री सदियों से---

 उसे विश्वास है पुरुष के हर एक शब्द का..

 और पुरुष यह विश्वास हर स्त्री को दिला देना चाहता है...


 सीमा मधुरिमा

 लखनऊ

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