Wednesday, January 26, 2022

गुलाब / ओशो

 .

         

💐ओशो 💐

..........✍🏻

गुलाब


इतनी खूबसूरती से खिलते हैं क्योंकि वे कमल बनने की कोशिश नहीं कर रहे। और कमल इतनी खूबसूरती से खिलते हैं क्योंकि उन्होंने दूसरे फूलों के बारे में किंवदंतियां नहीं सुन रखी हैं। हर एक चीज प्रकृति में इतनी खूबसूरत समरसता में जीए चले जाती है, क्योंकि कोई भी किसी के साथ प्रतिस्पर्धा करने की कोशिश नहीं कर रहा है, कोई कुछ और बनने की कोशिश नहीं कर रहा है। सभी कुछ उसी तरह है जैसा है।

सिर्फ इस बिंदु को देखो! सिर्फ अपने जैसे होओ और याद रखो, तुम कुछ और हो भी नहीं सकते, चाहे जो करो। सभी प्रयास व्यर्थ हैं। तुम्हें सिर्फ अपने जैसा होना है।

केवल दो तरीके हैं। पहला: इन्कार करना, तुम जैसे हो वैसे ही रह सकते हो; निंदा करते हुए। तुम जैसे हो वैसे भी रह सकते हो; या स्वीकारभाव से, समर्पण करके, आनंदित, प्रसन्नता से, तुम ऐसे भी हो सकते हो। तुम्हारा रवैया अलग भी हो सकता है, लेकिन तुम जिस तरह हो वैसे ही रहोगे, तुम जैसे इंसान हो। जब तुम स्वीकार कर लेते हो, करुणा उत्पन्न होती है। और तब तुम दूसरों को भी स्वीकार करना शुरु कर देते हो!

क्या तुमने देखा: एक साधु के साथ रहना बहुत मुश्किल है, बहुत ही मुश्किल। तुम एक पापी के साथ रह सकते हो; तुम एक साधु के साथ नहीं रह सकते क्योंकि साधु लगातार तुम्हारी निंदा करेगा: अपनी भंगिमा से, अपनी आंखों से, जिस तरह वह तुम्हारी तरफ देखेगा, जिस तरह वह तुमसे बातें करेगा। एक साधु कभी तुम्हारे साथ बातें नहीं करता; वह तुम्हें समझाता है। वह तुम्हें सिर्फ देखता नहीं है, उसके पास कुछ आदर्श हैं और वह उससे तुम्हारी तुलना करे चला जा रहा है…और, बेशक, तुम हमेशा छोटे पड़ते हो। उसका देखना ही तुम्हें पापी बना देता है। किसी साधु के साथ रहना बहुत मुश्किल है…क्योंकि वह खुद को स्वीकार नहीं करता, तो वह तुम्हें कैसे स्वीकार कर सकता है? उसके अन्दर बहुत सी चीजें हैं। वह बहुत सी बेचैनी है, वह उन सबसे परे जाना चाहता है। बेशक, वह वही चीजें तुम्हारे अंदर बड़े पैमाने में देखता है।

लेकिन मेरे लिए केवल वही व्यक्ति साधु है जो खुद को स्वीकार कर चुका है, और अपनी स्वीकृति में पूरी दुनिया को स्वीकार कर लिया है। मेरे लिए, मन की वह स्थिति ही साधुता है: पूर्ण स्वीकृति की अवस्था। और वह ही उपचारक है, चिकित्सकीय है। किसी के साथ सिर्फ होना जिसने तुम्हें पूर्णत: स्वीकार कर लिया है, चिकित्सा है। तुम ठीक हो जाओगे।


Osho, 

ए सडन क्लैश आफ थंडर , Talk #8

          

 💐 आचार्य श्री रजनीश💐

           

1 comment:

  1. बहुत सही कहा आचार्य रजनीश ने। खुद को स्वीकार कर लिया तो फिर सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

    ReplyDelete

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...