शहरी बेघरों को पता तक नहीं एड्स होता क्या है!
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बेंगलुरू। ऐक्शन एड इंडिया के सर्वेक्षण के तहत लखनऊ की एक टीम ने शहरी बेघरों पर अध्ययन किया। उस अध्ययन में रिसर्च असिसटेंट के रूप में मैने उन करीब 11000 लोगों से बात की, जो लखनऊ के आस-पास के जिलों से आकर दिन में मजदूरी करते हैं और रात में सड़क पर सोते हैं। मैने उन सभी से पूछा- एचआईवी एड्स क्या है? इसे हमारी स्वास्थ्य व शिक्षा व्यवस्था में ढिलाई ही कहेंगे कि उनमें से 6014 लोग नहीं जानते थे एड्स क्या होता है।
इससे यह साफ हो गया है कि एड्स और एचआईवी वायरस के बारे में शहर या फिर विकसित कस्बों के लोग ही जानकारी रखते हैं। गांवों में अभी भी भारी संख्या में लोग हैं, जो इस भयानक बीमारी के बारे में नहीं जानते। तमाम अभियानों के बावजूद गांव की जनता इससे अंजान है।
सर्वेक्षण के दौरान हमने शहरी बेघरों से पूछा कि शहर में आने के बाद क्या उन्होंने किसी से यौन संबंध स्थापित किया। 82 प्रतिशत ने सीधे कह दिया 'नहीं'। हमने जब यौन जनित बीमारियों के बारे में उन्हें बताना शुरू किया तब कुछ ने जुबान खोली और यह स्वीकार किया कि उन्होंने शहर में आकर यौन संबंध स्थापित किए। ऐसे लोगों की संख्या 2400 थी। यानी 40 करीब प्रतिशत। उन ढाई हजार लोगों में करीब एक हजार लोग कंडोम के इस्तेमाल से कतराते थे।
कुल मिलाकर यह अध्ययन यही संकेत देता है कि अपने घरों से दूर रहने वाले अशिक्षित लोग ही एड्स की चपेट में ज्यादा आते हैं। यदि हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर प्रकाश डालें तो भारत की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। 2006 में भारत में 20 लाख लोग एचआईवी से ग्रसित थे। वहीं 2008 में 23 लाख। हो गई 2009-2010 में यह संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड एड्स ज्यादा तेजी से फैल रहा है। खास तौर से इन देशों की राजधानियों में एड्स का खतरा ज्यादा है1 इसके पीछे सबसे बड़ा कारण देह व्यापार बताया जाता है।
कुल मिलाकर पूरा देश खतरे के निशान पर बैठा हुआ है। एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के दिन दुनिया भर में चर्चाएं होंगी, संगोष्ठियां, व्याख्यान, शिविर, आदि होंगे, लेकिन हमारा कर्तव्य यही बनता है कि अपने आस-पास के लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करें।
इससे यह साफ हो गया है कि एड्स और एचआईवी वायरस के बारे में शहर या फिर विकसित कस्बों के लोग ही जानकारी रखते हैं। गांवों में अभी भी भारी संख्या में लोग हैं, जो इस भयानक बीमारी के बारे में नहीं जानते। तमाम अभियानों के बावजूद गांव की जनता इससे अंजान है।
सर्वेक्षण के दौरान हमने शहरी बेघरों से पूछा कि शहर में आने के बाद क्या उन्होंने किसी से यौन संबंध स्थापित किया। 82 प्रतिशत ने सीधे कह दिया 'नहीं'। हमने जब यौन जनित बीमारियों के बारे में उन्हें बताना शुरू किया तब कुछ ने जुबान खोली और यह स्वीकार किया कि उन्होंने शहर में आकर यौन संबंध स्थापित किए। ऐसे लोगों की संख्या 2400 थी। यानी 40 करीब प्रतिशत। उन ढाई हजार लोगों में करीब एक हजार लोग कंडोम के इस्तेमाल से कतराते थे।
कुल मिलाकर यह अध्ययन यही संकेत देता है कि अपने घरों से दूर रहने वाले अशिक्षित लोग ही एड्स की चपेट में ज्यादा आते हैं। यदि हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट पर प्रकाश डालें तो भारत की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। 2006 में भारत में 20 लाख लोग एचआईवी से ग्रसित थे। वहीं 2008 में 23 लाख। हो गई 2009-2010 में यह संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड एड्स ज्यादा तेजी से फैल रहा है। खास तौर से इन देशों की राजधानियों में एड्स का खतरा ज्यादा है1 इसके पीछे सबसे बड़ा कारण देह व्यापार बताया जाता है।
कुल मिलाकर पूरा देश खतरे के निशान पर बैठा हुआ है। एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के दिन दुनिया भर में चर्चाएं होंगी, संगोष्ठियां, व्याख्यान, शिविर, आदि होंगे, लेकिन हमारा कर्तव्य यही बनता है कि अपने आस-पास के लोगों को एड्स के प्रति जागरूक करें।
English summary
A survey done in Lucknow revealed unexpected data regarding AIDS awareness. Most of the urban homeless are still unaware of HIV. The tendency of spreading sexually transmitted diseases among them is higher in compare to others
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