Tuesday, January 31, 2012

आकर्षक देह की चाह में भटकता मन


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परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में सुंदरता को लेकर जितना बदलाव लोगों के विचारों में आया है, उतना शायद कहीं और देखने को नहीं मिला है। आज सुंदरता को सैक्स अपील के नजरिये से देखा जाने लगा है। इसी मानसिकता के चलते सुंदरता की परिभाषा उच्च विचार न होकर आकर्षक देह तक सिमट कर रह गई है। मौजूदा दौर में युवाओं से लेकर प्रौढ़ वर्ग की महिलाओं व पुरुषों तक में सुंदर दिखने की चाह तेजी से बढ़ रही है। लड़कियां प्रीति जिंटा जैसा गोरा रंग, सुष्मिता सेन जैसी लंबाई और शिल्पा शेट्टी जैसा सांचे में ढला जिस्म पाने की अभिलाषी हैं, तो लड़के भी सलमान खान जैसी बॉडी पाने के लिए कसरत करने में जुटे हैं। अब आकर्षक शरीर व्यक्तित्व का अहम हिस्सा बन चुका है।
वरिष्ठ फिल्म संपादक आजाद सिंह का कहना है कि मीडिया ने भी इस प्रवृति को बढ़ावा दिया है कि सुंदरता सफलता का 'शॉर्टकट' है। इसके जरिये आसानी से पैसा और प्रसिध्दि हासिल की जा सकती है। फिल्म निर्माता भी अभिनय के बल पर नहीं, बल्कि नायक और नायिका के आकर्षक जिस्म को दिखाकर दर्शकों को टिकट खिड़की तक खींच लेना चाहते हैं। उनका यह प्रयास काफी हद तक सफल भी हुआ है, चाहे बिपाशा बसु की फिल्म 'जिस्म' हो या लारा दत्ता और प्रियंका चोपड़ा की 'अंदाज'। हरियाणा की छोरी मल्लिका शेरावत और हिमांशु ने भी 'ख्वाहिश' फिल्म में भी यही ट्रेंड अपनाया गया था। टीवी पर विज्ञापनों में यही सब दिखाया जा रहा है कि फलां लड़की ने फलां क्रीम लगाई या साबुन इस्तेमाल किया तो उसे मनचाही नौकरी या पति मिल गया। लड़के ने फलां शेविंग क्रीम या शैंपू इस्तेमाल किया तो लड़कियां उसकी दीवानी हो गईं।
इंसान की फितरत है कि वह ग्लैमर व तेजी से बदलती चीजों के प्रति आसानी से आकर्षित हो जाता है। इसलिए ग्लैमर की दुनिया का आकर्षण युवाओं को अपनी ओर खींच रहा है। आज महज चेहरे की सुंदरता को ही महत्व न देकर सिर के बालों से लेकर पैरों के नाखूनों तक के सुंदर होने को अहमियत दी जा रही है।
लोग अपनी फिटनेस को लेकर बेहद जागरूक हैं, जिसका अंदाजा समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं के 'व्यक्तिगत समस्याएं' नामक स्तंभों में प्रकाशित होने वाले पत्रों को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। युवाओं की बात तो दूर प्रौढ़ वर्ग के महिला व पुरुष भी विशेषज्ञों को पत्र लिखकर उनसे गोरा होने, कद बढ़ाने और जिस्म को आकर्षक बनाने के तरीके पूछते हैं। वे दो टूक शब्दों में कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति का पहला प्रभाव उसे (शरीर) देखकर ही लगता है। एक निजी कंपनी के संचालक कहते हैं कि ''मैं चाहता हूं कि मेरे पास काम करने वाले लड़के व लड़कियां सुंदर और स्मार्ट हों, क्योंकि मेरा काम पब्लिक डीलिंग से जुड़ा है। एक सुंदर सैल्समैन या सैल्स गर्ल की बात सुनना भला कौन पसंद नहीं करेगा।''
ग्राफिक्स डिजाइनर हिमांशु का कहना है कि ''मैं चाहता हूं कि मेरी गर्लफ्रैंड देखने में आकर्षक हो। पत्नी के रूप में भी मैं एक सुंदर लड़की के ही सपने देखता हूं।'' यही चाह लड़कियों की भी है। अनुराधा का कहना है कि एक हैंडसम लड़के से दोस्ती करना या उसे जीवनसाथी बनाना हर लड़की का सपना होता है। सिर्फ गुणों की बात करना कोरा आदर्शवाद ही होगा। आज अच्छी सीरत के साथ अच्छी फिगर होना भी जरूरी हो गया है। वह तर्क देती हैं कि शादी के समय भी लड़की देखने के प्रति लोगों की यही चाहत होती है, उनके घर चांद सी बहू आए। अब तो लड़के भी डिमांड करने लगे हैं कि उनकी होने वाली पत्नी सुंदर और आकर्षक हो।
आकर्षक फिगर पाने के लिए लड़के और लड़कियां डायटिंग करते हैं, तरह-तरह की दवाओं का सेवन करते हैं, इंजेक्शन लेते हैं। नीम-हकीमों के चंगुल में फंसकर पैसा और सेहत बर्बाद करते हैं। नतीजतन उन्हें भूख न लगना, अनिंद्रा, तनाव, चिड़चिड़ापन, शरीर पर बाल उगना व सूजन आ जाना जैसी कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। फिटनेस विशेषज्ञ डॉ. फिरोज कहते हैं कि सुंदर दिखने की चाह होना स्वाभाविक है। आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि इंसान साधारण रंग-रूप को आकर्षक बना सकता है, लेकिन इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि दवाओं का सेवन विशेषज्ञों की सलाह पर ही किया जाए। अमूमन देखने में आता है कि मार्गदर्शन के अभाव में युवा अपनी मर्जी से कद लंबा करने, गोरा होने, स्लिम होने, वनज बढ़ाने या मोटापा घटाने की दवाओं का सेवन शुरू कर देते हैं। इसकी वजह से उन्हें कई बीमरियों के रूप में इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। रंग साफ करने की तरह-तरह की क्रीम इस्तेमाल करने से चेहरे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं। कई बार तो त्वचा तक जल जाती है। लंबाई बढ़ाने की दवाओं से शरीर पर सूजन आ जाती है। इसी तरह स्लिम होने की दवाओं से सिरोसिस ऑफ लीवर नामक बीमारी हो जाती है। इससे भूख बिल्कुल बंद हो जाती है और व्यक्ति कुपोषण से संबंधित बीमारियों का शिकार हो जाता है। वजन बढ़ाने की दवाएं भी पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं। इससे भूख ज्यादा लगने लगती है और व्यक्ति ज्यादा खाना खाने लगता है। इसके कारण एक बारगी तो वजन बढ़ जाता है, लेकिन दवाओं का सेवन बंद करते ही वजन तेजी से घटने लगता है। कई दवाओं में नशीले पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे व्यक्ति नशे का आदी हो जाता है। मनोविशेषज्ञों का कहना है कि आकर्षक व्यक्तित्व से आत्मविश्वास बढ़ता है। इसलिए लोग सुंदर दिखना चाहते हैं। तेजी से बदलते परिवेश के कारण भी आकर्षक देह वक्त की जरूरत बन गई है।

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