Tuesday, June 1, 2021

काइआ_अंदरी_रतन_पदारथ_भगति_भरे_भंडार

 काइआ_अंदरी_रतन_पदारथ_भगति_भरे_भंडार

इसु काइआ अंदरी नऊ खंड पृथमी हाट पटण बाजारा


गुरु साहिब समझाते है की हमारी देह के अन्दर अपार रूहानी दोलत है भक्ति के भंडार भरे हुवे हैजो कुछ भी हमें मिलेगा अपने शारीर के अन्दर ही मिलेगा हमारे शारीर के अन्दर सारे दुनिया की रचना है आप भी सोचेगे की जब डाक्टर पोस्ट मार्टम करता है तो उसे हमारी देह में ये सब रचनाये कभी नहीं मिलतीअगर आप रेडियो को तोडकर देखे तो उसके अन्दर से कभी कोई बोलने वाला तो नहीं निकलता लेकिन आवाज अन्दर से ही आती है इसी प्रकार सब कुछ हमारी देह या शारीर के अन्दर है जब तक हम अन्दर जाकर अपने ख्याल को उस केंद्र पर इकट्टा नहीं करते हमें न अन्दर कुछ दिखाई देता है और न ही किसी चीज को सुन सकते है #गुरु _साहिब सब कुछ बयान करके फिर #शब्द या नाम की और आते है यह #शब्द या नाम हमें अपनी देह के अन्दर ही मिलेगा यह नाम रूपी दोलत बाहर न कभी किसी को मिली है और न कभी किसी को मिलेगी ll


नऊ दरवाज नवे दर फीके रसू अमृत दसवे च इजे


भाई आखों के निचे -निचे इन्द्रियों के भोग है विषय विकारो शराबो कबाबो की लज्जते है अगर तू रस से भरे हुवे अमृत को पीना चाहता है दसवे चुईजे ; वह तेरी आखों के पीछे बरस रहा है आप देखे कितनी जोर की बारिश क्यों न हो रही हो अगर हम बर्तन को ही उल्टा कर रख देगे उसको सीधा नहीं करेगे तो बारिश का इक कतरा भी बर्तन में नहीं जा सकता इसलिये जिस चीज को यहाँ आँखों के पीछे आकर उस अमृत को पीना है वह मन तो सारी दुनिया में फेला हुवा है उसी मन को सिमरन और ध्यान के जरिये फिर वापस इस नुक्ते पर इकट्टा करना है l

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