Thursday, July 7, 2011

बगैर राष्‍ट्रभाषा के है गांधी का देश


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विजय सिंह मुंबई. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि राष्ट्रभाषा के बगैर राष्ट्र गूंगा होता है. पर, आजादी के 62 सालों बाद आज भी यह देश गूंगा ही है. सूचना अधिकार (आरटीआई) से मिली जानकारी के अनुसार संविधान में राष्ट्रभाषा का कोई उल्लेख नहीं है. केंद्र की आधिकारिक भाषा हिंदी जरूर है. आरटीआई कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूछा था कि इस देश की राष्ट्रभाषा क्या है और हिंदी-अंग्रेजी व संस्कृत में से देश की आधिकारिक भाषा क्या है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के उपनिदेशक डॉ. सरोज कुमार त्रिपाठी ने रॉय को जो लिखित जवाब भेजा है, उसके अनुसार संविधान में राष्ट्रभाषा का कोई उल्लेख नहीं है. रॉय के दूसरे सवाल के उत्तर में बताया गया है कि भारतीय संविधान की धारा 324 के तहत हिंदी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा है.
भारत, इंडिया या हिंदुस्तान : भाषा के हिसाब से इस देश का नाम बदल जाता है. हिंदी में इस देश का नाम भारत, अंग्रेजी में इंडिया और उर्दू में हिंदुस्तान हो जाता है. रॉय ने इसी आरटीआई में यह भी सवाल किया था कि इस देश का आधिकारिक नाम क्या है? इसके लिखित जवाब में उन्हें बताया गया कि इस विभाग (गृह मंत्रालय) के पास इस बारे में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है. रॉय कहते हैं कि आश्चर्य की बात है कि हर आदमी का निक नेम चाहे जितना हो, पर उसे एक आधिकारिक नाम रखना पड़ता है और इसमें किसी तरह का फेरबदल करने पर कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी नहीं पता कि इस देश का ऑफिसियल नाम क्या है. रॉय अब अपने इस सवाल का जवाब खोजने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले हैं.
हां, सचमुच राष्ट्र गूंगा ही है : महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी के कार्याध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल इस स्थिति पर दु:ख जताते हुए कहते हैं कि जब देश के संविधान में राष्ट्रभाषा का कोई उल्लेख नहीं है तो यह राष्ट्र गूंगा ही है. यह दुखद स्थिति है. सरकारों में इच्छाशक्ति के अभाव में हिंदी को उसका स्थान नहीं मिला. जबकि इससे केवल हिंदी का नुकसान नहीं हुआ. प्रादेशिक भाषाओं को भी उतना ही नुकसान उठाना पड़ा है. जहां तक देश के आधिकारिक नाम का सवाल है तो संविधान में कहा गया है कि 'भारत इज इंडिया' (भारत इंडिया है). पर आश्चर्य की बात है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी नहीं है.
व्यवहारिक धरातल पर हिंदी बन चुकी है राष्ट्रभाषा :  मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉ. रामजी तिवारी कहते हैं कि संविधान भले ही हिंदी को राष्ट्रभाषा न माने, पर सही मायने में व्यावहारिक धरातल पर हिंदी राष्ट्रभाषा बन चुकी है. महात्मा गांधी ने तो हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर ही दिया था. नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने भी कहा था कि देश आजाद होने पर हिंदी ही राष्ट्रभाषा होगी. जबकि ये दोनों गैर हिंदीभाषी थे, लेकिन देश के लिए हिंदी की अहमियत समझते थे. डॉ. तिवारी सवाल करते हैं कि यदि हिंदी केंद्र की आधिकारिक भाषा है. इसके बावजूद वहां भी सारे कामकाज अंग्रेजी में क्यों होते हैं?
देश में 15 राष्ट्रभाषा है : पूर्व आईपीएस अधिकारी व वरिष्ठ अधिवक्ता वाई.पी. सिंह कहते हैं कि सरकारी एजेंसियां आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी देने में लापरवाही करती रहती हैं. गृह मंत्रालय को सही जानकारी नहीं है. यह आश्चर्य की बात है. संविधान में लिखा गया है कि देश में 14 राष्ट्रभाषा है. बाद में इसमें सिंधी को भी जोड़ा गया, जिससे यह संख्या 15 हो गई. जहां तक देश के आधिकारिक नाम पर सवाल है तो संविधान में इसका भी उल्लेख है.
लेखक विजय सिंह कौशिक नवभारत, मुंबई के वरिष्‍ठ संवाददाता

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