Thursday, July 15, 2021

हुजूर पर कविता

 *ग्रेसियस हुज़ूर को डॉ. अन्ना होरात्शेक की कविता:-*


 *नहीं, तुम्हारे पास बुद्ध की आंखें नहीं हैं,*

 *उदासीन दुनिया देखना।*

 *अनदेखा, अनदेखा।*

 *आपके दो ताल हैं, साफ़ और स्थिर,*

 *चमक से कोमलता से छायांकित।*

 *तितली के पंखों की तरह सूरज की रेशमी सांस लेते हुए।*

 *तेरी आग और दर्द की दो खाई हैं,*

 *एक बार वे मेरी आत्मा पर प्रकाश की किरणें भेजते हैं,*

 *आपसी मान्यता के एक फ्लैश में।*

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