Monday, September 27, 2021

कर्मफल

 कश्यप ऋषि के पुत्र पक्षीराज गरुड़ ने श्री विष्णु हरि से पूछा इस ब्रह्मांड में ऐसी कौन सी जगह है?


जहां पर मनुष्य कभी बूढ़ा नहीं होता?

जहां पर मनुष्य को कभी भूख नहीं लगती?

जहां पर मनुष्य को किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता?

जहां पर मनुष्य हमेशा खुश रहता है?


जगत के आधार, सभी कारणों के कारण,पापी आत्माओं को भी शरणागत देने वाले श्री विष्णु हरी ने पक्षीराज गुरुड को बताया इस ब्रह्मांड में यमपुरी ही एक ऐसी जगह है जहां पर मनुष्य कभी बूढ़ा नहीं होता? जहां पर मनुष्य को कभी भूख नहीं लगती? जहां पर मनुष्य को किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगता? देवलोक और मनुष्यलोक में जितने भी सुख सुविधाएं हैं उस प्रकार की सभी सुख सुविधाएं यमपुरी में उपलब्ध है वहां सभी प्रकार के रसों से परिपूर्ण सामग्री उपलब्ध होती है


यमराज के दरबार में कौन-कौन सभासद, निर्णय लेने में यमराज की सहायता करते हैं तथा कौन यमराज के दरबार में जा सकता है?


यमपुरी मृत्युलोक से 86 हजार योजन दूर है यमराज का महल 200 योजन लंबा 200 योजन चौड़ा तथा 50 योजन ऊंचा है यमराज की सभा 100 योजन लंबी और चौड़ी है, यमपुरी में ना गर्मी है और ना ठंड है और यमपुरी में ना बुढ़ापे की चिंता सताती है और हमेशा मौसम सुहावना रहता है यमराज का महल सोने का बना हुआ है और हीरो की फर्श पर चित्रकारी है और खिड़कियों में हीरो के रोशनदान बने हुए हैं यमराज के दरबार में निम्नलिखित सभासद है, जो शास्त्रों का अध्ययन कर कर उचित निर्णय लेने में यमराज की सेवा करते हैं 


( अत्रि, वशिष्ठ मुनि, पुलह, दक्ष, क्रतु,अंगिरा,परशुराम,  पुलत्स्य,अगस्त्य, नारद) 


यह सभी यमराज जी के सभासद है जिनके नामों और कर्मों की गणना नहीं की जा सकती यह सभी धर्मशास्त्रों की व्याख्या करके यथावत निर्णय देते हैं और ब्रह्मा की आज्ञा अनुसार सभी यमराज की सेवा करते हैं इस सभा में सूर्यवंश और चंद्रवंश के अन्य बहुत से धर्मात्मा राजा यमराज की सेवा करते हैं


( मनु, दिलीप, सगर, भागीरथ, दुष्यंत, शांतनु, पांडू, मुचुकुंन्द,अनरण्य,अम्बरीष,भरत,नल, शिवि, निमि, पूरू, ययाति और सहस्त्रार्जुन)


यह सभी पुण्यआत्मा और बहुत से प्रख्यात राजा अश्वमेध यज्ञ करने फलस्वरूप यमराज के सभासद बने हैं यमराज की सभा में धर्म की प्रवृत्ति होती है ना वहां पक्षपात होता और ना वहां झूठ बोला जाता और ना ही किसी के प्रति मात्सर्यभाव रखा जाता है सभी सभासद शास्त्रविद और धर्मपरायण है वह सदा सभा में वैवस्वत यम की उपासना करते हैं.


यमपुरी में दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वाले कभी भी यमराज की सभा में नहीं जा सकते, केवल पुण्यआत्मा, सन्यासी, धर्मात्मा और हमेशा परमात्मा का नाम जपने वाले ही यमराज की सभा में जा सकते हैं दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वालों को 100 सालों तक यमपुरी में प्रवेश करने के लिए इंतजार करना पड़ता है क्योंकि यमपुरी में दक्षिणी द्वार से प्रवेश करने वाले सभी पापी लोग होते हैं और 100 सालों तक यम के दूत ऐसी पापी आत्माओं को कई प्रकार की यातनाएं देते हैं धर्मात्मा और सन्यासी लोगों की यमराज के दरबार में उचित देखभाल की जाती है अप्सराएं धर्मात्मा और सन्यासी लोगों की सेवा में लगी रहती है धर्मात्मा और सन्यासी लोगों को यमराज के दरबार में उचित मान सम्मान दिया जाता है 


इसलिए मृत्यु लोक के प्राणियों से विशेष प्रार्थना है अपने कर्मों को सुधारो ताकि यमराज के दरबार में उचित मान सम्मान मिल सके तथा यमराज के दरबार में सभासद के रूप में सेवा करने का मौका मिल सके

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