Monday, September 27, 2021

राधा के श्याम क़ो दे दो

प्रस्तुति - संत / रीना शरण 


 उन्होंने कहा :- कुछ मांगों। मैंने उनसे उन्हें ही मांग लिया।

उन्होंने कहा :- मुझे नहीं, कुछ और मांगों।

मैंने कहा :- राधा के श्याम दे दो।


उन्होंने कहा :- अरे बाबा, मुझे नहीं कुछ और मांगों।


मैंने कहा :- मीरा के गिरिधर दे दो।


उन्होंने फिर कहा :- तुम्हें बोला ना कुछ और मांगों।


मैंने कहा :- अर्जुन के पार्थ दे दो।


अब तो उन्होंने पूछना ही बंद कर दिया। केवल इशारे से बोले :- कुछ और।


अब तो मैं भी शुरू हो गई :-


यशोदा मईया का लल्ला दे दो।

गईया का गोपाल दे दो।

सुदामा का सखा दे दो।

जना बाई के विठ्ठल दे दो।

हरिदास के बिहारी दे दो।

सूरदास के श्रीनाथ दे दो।

तुलसी के राम दे दो।


ठाकुर जी पूछ रहे है :- तेरी सूई मेरे पे ही आके क्यों अटकती हैं ?


मैंने भी कह दिया :- क्या करूँ प्यारे।

जैसे घडी का सैल जब खत्म होने वाला होता है तो उसकी सूई एक ही जगह खडी-खडी थोड़ी-थोड़ी हिलती रहती हैं।

बस ऐसा ही कुछ मेरे जीवन का हैं।श्वास रूपी सैल अब खत्म होने को हैं।

संसार के चक्कर काट-काट कर सैकडों बार तेरे पास आई।लेकिन अपने मध मे चूर फिर वापिस लौट गई।

परन्तु अब नहीं प्यारे।अब और चक्कर नहीं।

अब तो केवल तुम।

हाँ तुम।

सिर्फ तुम।

तुम तुम और तुम।


हरि बोल

****(जय जय श्री राधे)****


🌹🙏🏻कृष्ण दीवानी 🙏🏻🌹

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