**राधास्वामी! 02-09-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
आज सखी सब जुड़ मिल आओ। राधास्वामी की आरत गाओ।।१
आनंद मंगल चहुँ दिसि छाई । प्रेम बदरिया बरषा लाई ॥२ ॥
तन मन सुरत भींज रही सारी । फूल रही भक्ती फुलवारी ॥ ३ ॥
उमँग उठी हिय में अति भारी । सतगुरु चरनन आरत धारी ॥४ ॥
बिरह अनुराग थाल धर लाई । प्रेम लगन की जोत जगाई ॥५ ॥
गरजत गगन शब्द धुन आई । घंटा संख मृदंग बजाई ॥६ ॥
सुरत जगी लागी दस द्वारे । मगन हुई सुन धुन झनकारे ॥७ ॥
अमी झड़त बरसत चौधारी । रूप अनूप चंद्र उजियारी ॥८ ॥
और बिलास अनेक दिखाई । हिय बिच प्रीति प्रतीति बढ़ाई ॥ ९ ॥ मेहर दया राधास्वामी की परखी । ऊपर चढ़ झाँकी सत खिड़की ॥१० ॥
सत्तलोक का द्वारा सोई । मुरली धुन सुन सुरत समोई ॥११ ॥
आगे चल पहुँची सतपुर में । मधुर बीन धुन सुनी अधर में ॥१२ ॥
अलख अगम का दरशन करके । राधास्वामी चरन जाय कर परसे ॥१३ ॥
प्रेम उमँग से आरत धारी । राधास्वामी मेहर करी अति भारी ॥१४ ॥
मैं अनजान मरम नहिं जाना । अपनी दया से गुरु दियो दाना ॥१५ ॥
मन और सुरत चरन में मेलें । बाल समान गोद गुरु खेलें ॥१६ ॥
राधास्वामी काज किए सब पूरे । सुरत हुई उन चरनन धूरे ॥१७ ॥
(प्रेमबानी-1-शब्द 11-पृ.स.146,147,148)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻🙏🏼
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