Tuesday, November 23, 2021

मेरे सतगुरु दीन दयाल....

*राधास्वामी!  आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला पहला पाठ:-        


                  

मेरे सतगुरु दीन दयाल ।

अरज इक सुन लीजे ।

 मेरे समरथ पुरुष सुजान ।

 चरन में मोहि लीजे ॥ १ ॥


मैं बहुतक भटके खाये ।

सरन में रख लीजे ।

मेरा मन है बड़ा कठोर ।

नरम अब वाहि कीजे ॥ २ ॥


चहुँ दिस रहे यह धाय ।

पकड़ अब धर दीजे ।

 मेरे प्यारे गुरू दातार |

 जल्दी सुधि लीजे ॥ ३ ॥


 मेरी आयू ' बीती जाय ।

 बदन ' निस दिन छीजे ।

 मैं बिनती करूँ पुकार ।

मेहर से सुन लीजे ॥ ४ ॥

मेरे सतगुरु बन्दीछोड़ ।

मोहि निरबंध कीजे ।

मेरा कोमल चित हो जाय ।

 कमल सम बिगसीजे ॥५ ॥

घट प्रगटे शब्द अपार ।

सुन सुन स्रुत रीके ।

कलमल सब दूर बहाय ।

चरन रस नित भींजे ॥ ६ ॥


 फिर चढ़ कर निज घर जाय ।

 मेहर से सँग दीजे ।

अलख अगम के पार ।

 राधास्वामी सँग सीझे ॥ ७ ॥


 राधास्वामी गुरू दयाल ।

 दरद मेरा लेव बूझे ।

तुम बिन और दुवार ।

 कोई नहिं मोहिं सूझे ॥ ८ ॥

 (प्रेमबिलास-शब्द-38-पृ.सं.51) नेपाल**



No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...