तमन्ना यही है ... संस्कृत में
अभिलाषा इयमेव यावत् जीवेम।
चलेम भ्रमेम सोद्यमभवेम।।
पठेम लिखेम सुवाक् वा वदेम।
न कुर्याम कोsपीदृशं कार्यमेव।।
तवेप्सितविरुद्धं च यदपि भवेत्।
भवत: स्वीकृत्या: प्रतिकूलं भवेत्।।
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