Saturday, January 1, 2011

खट्टी-मीठी यादों के साथ महाघोटालों के नाम रहा 2010


खट्टी-मीठी यादों के साथ महाघोटालों के नाम रहा 2010



रामबिहारी सिंह
हर साल की तरह यह वर्ष 2010 भी अपने साथ कई मीठी यादों के साथ ही कड़वे दर्द देकर खत्म हो गया। वर्ष 2010 में जहां कुछ अच्छे कार्य हुए तो वहीं कई ऐसे कलंक भी लगे जो भारत को दुनिया की नजर में शर्मिंदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा गए। 2010 में देश में हुई घटनाओं पर नजर डालें तो कई ऐसी घटनाएं ऐसी हैं, जिन्हें सुनकर हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह ऐसे जख्म हैं, जिनके बार में सोचने पर हम देश की सदियों पुरानी व्यवस्था को कोसने लगते हैं। आइए इन्हीं घटनाओं से एक बार फिर शर्मिंदा होते हैं, जिन घटनाओं ने देशवासियों को झकझोर कर रख दिया है। तो वहीं कुछ वाकये ऐसे में भी जिन्होंने 2010 को यादगार बना दिया।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला
कड़वी यादों पर नजर डालें तो सबसे पहले 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले का जिक्र आता है। इसकी सुगबुगाहट तो साल की शुरुआत से ही थी और भाजपा सहित अन्य पार्टियां शुरू से ही जांच की मांग कर रही थीं, लेकिन केंद्र सरकार की आंखें साल के अंत में खुलीं। और जब यह घोटाला सामने आया तो पता चला कि इसमें देश की जनता का करीब 1.75 करोड़ अरब रुपए का गोलमाल हुआ है। हालांकि राहत की बात यह है कि सीबीआई ने घोटाले के मुख्त कर्णधाार पूर्व संचार मंत्री ए राजा के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। तो उधार इस घोटाले में नीरा राडिया की अहम भूमिका भी सामने आई। फिलहाल सीबीआई एक-एक कर परतें खोल रही है, जिसमें कई बड़े नाम धाीरे-धाीरे सामने आ रहे हैं। उधार भाजपा व विपक्षी दल इस घोटाले की जांच संसदीय जांच समिति को सौंपने की मांग कर रहे हैं, जिसके चलते इस साल पहली बार संसद का शीतकालीन सत्र भी बिना बहस के खत्म हो गई।
कॉमनवेल्थ की कॉमनहेल्थ टीम ने झुकाया देश का सिर
सितंबर 2010 में देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में कॉमनवेल्थ आयोजन समिति की कारगुजारियों ने भारत का मान बढ़ाने के बजाय दुनिया के सामने देश का सिर झुका दिया। आयोजन समिति अधयक्ष सुरेंद्र कलमाड़ी ने कॉमनवेल्थ में कुछ ऐसा खेल खेला कि दुनिया की नजर में महाशक्ति के तौर पर उभर रहे हिन्दुस्तान की छवि धूमिल हो गई और दुनिया के करीब एक सैकड़ा से अधिक देशों से आये खिलाडियों के साथ ही अन्य मेहमानों का भारतीय अनुभव कड़वा हो गया। कलमाड़ी एंड कंपनी ने कुछ इस तरह घोटाले को अंजाम दिया कि पूरा देश शर्मिंदा हो गया। हालांकि अब सीबीआई आयोजन समिति अधयक्ष सुरेश कलमाड़ी पर शिकंजा कंस रही है, पर सवाल यह उठता कि कॉमनवेल्थ में उस अरब रुपयों का क्या होगा जो घोटालों की भेंट चढ़ गया।
आदर्श घोटाले ने छीना शहीदों का आशियाना
अक्टूबर माह में मुंबई में बनाए गए कारगिल शहीदों के परिवारों के लिए आशियाने को भी आदर्श घोटाले ने नहीं बख्शा। यहां तक की इसकी लपेट में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपना पद भी गंवाना पड़ा। इस घोटाले ने एक तरह से देश के अमर शहीदों के अरमानों पर पानी फेर दिया और देशवासियों के सामने भ्रष्टाचारियों ने साबित कर दिया कि वह किसी के सगे नहीं हैं। आदर्श हाउसिंग घोटाले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर अपने परिवारों को फ्लैट आवंटित करने के आरोप लगे। उधार इस मामले में पूर्व सेनाधयक्ष दीपक कपूर समेत कई अन्य मंत्रियों के नाम भी सामने आ रहे हैं, जिनका हो सकता है आगामी दिनों में खुलासा हो।
कर्नाटक में भूमि घोटाला
महाराष्ट्र के आदर्श घोटाले के बाद कर्नाटक में भूमि घोटाला सामने आया। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि कर्नाटक में भाजपा सरकार संकट में आ गई और उसे मुख्यमंत्री बीएस युदियुरप्पा को लेकर काफी विरोधा झेलना पड़ा तो उधार 2जी स्पेक्ट्रम सहित अन्य घोटालों को लेकर केंद्र में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को घेरने में भाजपा को अपना शिकंजा ढीला करना पड़ा। हालांकि इसके बाद पार्टी के दबाव के चलते मुख्यमंत्री युदियुरप्पा को उनके रिश्तेदारों को आवंटित जमीन वापस कर दी, जिसके बाद वह अपने किये पर बिना किसी शर्म के कुर्सी पर यथावत डटे रहे।
रेल दुर्घटनाओं ने भी दिया जख्म
वर्ष 2010 के शुरुआत में ही रेल दुर्घटनाओं का सिलसिला शुरू हो गया, जिन्होंने कई लोगों की जानें लीं। 2 जनवरी को ही उत्तरप्रदेश में घने कोहरे के कारण एक साथ तीन जगह हादसे हुए, जिसमें करीब 10 लोग मारे गए तो 50 से अधिक घायल हो गए। 16 जनवरी को यूपी में ही दो ट्रेनों की टक्कर और फिर 17 जनवरी को बाराबांकी में एक कार ट्रेन से टकरा गई। वहीं एक और रेल दुर्घटना 22 जनवरी को आजमगढ़ के पास हुई। इसके बाद 28 मई को ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस में नक्सलियों का कहर टूट पड़ा और हृदय विदारक हादसे में मुंबई की तरफ जा रही ट्रेन के 13 डिब्बे पश्चिमी मिदनापुर में पटरी से उतर गए, जो दूसरी ट्रेन से जा टकराए। इसमें कई यात्रियों की जान गई। वही 19 जुलाई को पश्चिम बंगाल के बीरभूमि जिले में दो ट्रेनों की टक्कर में करीब 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
पुणे में लश्कर ए तैयबा का बम धामाका
वर्ष 2010 में ही फरवरी माह में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा ने पुणे में आतंकी वारदात को अंजाम देकर एक बार फिर हिन्दुस्तानियों की जान ली। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने यहां जर्मन बेकरी में बम धामाका दिया, जिसमें करीब 17 लोग मारे गए और 60 से अधिाक घायल हो गए। उधार पश्चिम बंगाल में नक्सलियों ने भी 15 फरवरी को सिलडा कैम्प पर हमला किया, जिसमें 24 जवान शहीद हो गए।
प्रतापगढ़ में भगदड़ ने ली 63 की जान
वर्ष 2010 की सबसे बड़ी भगदड़ में यूपी के प्रतापगढ़ जिले में स्थिति रामजानकी मंदिर में हुई। 4 मार्च को मची भगदड़ में करीब 63 लोगों की मौत गई, जबकि करीब 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। वहीं कोलकाता में 23 मार्च को एक इमारत में भीषण आग से करीब 24 लोग की जान चली गई।
शिक्षा अधिकार की सौगात
केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से देशभर में शिक्षा का अधिाकार कानून पारित कर एक तरह से भारत का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया। इसके तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिला, जिससे देशभर में करोड़ों बच्चे लाभांवित हुए।
नक्सलियों ने ली 70 जवानों की जान
अप्रैल में ही नक्सल प्रभावित राज्य छत्ताीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने कहर ढा दिया और केंद्रीय रिजर्ब पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 70 जवानों की जान ले ली। इस घटना में नक्सलियों और सीआरपीएफ जवानों के बीच संघर्ष हुआ।
तूफान ने ली 140 जानें
वर्ष 2010 में 13 अप्रैल को पूर्वी भारत में भीषण तूफान आया, जिसने ऐसा कोहराम मचाया कि इसकी चपेट में आने से करीब 140 लोगों की जान चली गई। तो वहीं 5 लाख से भी अधिाक लोगों को बेघर कर दिया।
अजमल आमिर कसाब को फांसी
26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधाानी मुंबई पर कोहराम मचाने वाले एकमात्र जिंदा पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को 3 मई को मुंबई आतंकी हमले के मामले में दोषी करार दिया गया। उस पर भारत के खिलाफ युद्ध छेडने का आरोप सिद्ध हुआ और 6 मई को कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई।
मैंगलौर में दर्दनाक विमान हादसा
वर्ष 2010 देश की सबसे बड़ी विमान दुर्घटना का गवाह बना। 22 मई को मैंगलौर के हवाई अड्डे पर हुए इस दर्दनाक हादसे में करीब 158 लोग मारे गए, जबकि 8 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना में एयर इंडिया की एक्सप्रेस फ्लाइट 812 दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस तरह इस हादसे ने कई परिवारों के दीपक को हमेशा-हमेशा के लिए बुझा दिया। इस घटना का एक पहलू यह भी रहा है यह हादसा एयर इंडिया की विश्वसनीयता पर भी प्रश्रचिन्ह लग गया।
समुद्र में टकराये जहाज, रिसा तेल
इसी वर्ष 7 अगस्त को मुंबई के तट पर तेल से भरा एक टैंकर जहाज एक अन्य जहाज से टकरा गया, जिसमें 2662 टन तेल, 283 टन डीजल और 88040 लीटर ल्यूब ऑयल समुद्र में बह गया। इस कारण तटीय इलाकों में जबर्दस्त जल प्रदूषण फैल गया। एक जहाज पैनामा से और दूसरा सेंट किट्टस से आ रहा था।
अयोध्‍या पर अनसुलझा फैसला
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 1992 में ढहाई गई बाबरी मस्जिद के बाद विवादित स्थल पर अनसुलझा फैसला सुनाया। कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, हिन्दू महासभा और निर्मोही अखाड़ा तीनों को बराबर से एक तिहाई हिस्सा देने का फैसला दिया। इस फैसले को लेकर देशभर में लोगों की सांस थम गईं, किन्तु समय का तकाजा और परिपक्व होते आधुनिक समाज ने देश को कलंकित करने से बचा लिया और गनीमत रही कि फैसले के बाद देशभर में कोई घटना नहीं हुई। अयोध्‍या मामले में पहले फैसला 24 सितंबर को आना था, लेकिन देश में शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था का परीक्षण करने के बाद 30 सितंबर को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया। हालांकि तीनों ही संगठन इस फैसले से असंतुष्ट हैं और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं।




रामबिहारी सिंह
हर साल की तरह यह वर्ष 2010 भी अपने साथ कई मीठी यादों के साथ ही कड़वे दर्द देकर खत्म हो गया। वर्ष 2010 में जहां कुछ अच्छे कार्य हुए तो वहीं कई ऐसे कलंक भी लगे जो भारत को दुनिया की नजर में शर्मिंदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा गए। 2010 में देश में हुई घटनाओं पर नजर डालें तो कई ऐसी घटनाएं ऐसी हैं, जिन्हें सुनकर हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। यह ऐसे जख्म हैं, जिनके बार में सोचने पर हम देश की सदियों पुरानी व्यवस्था को कोसने लगते हैं। आइए इन्हीं घटनाओं से एक बार फिर शर्मिंदा होते हैं, जिन घटनाओं ने देशवासियों को झकझोर कर रख दिया है। तो वहीं कुछ वाकये ऐसे में भी जिन्होंने 2010 को यादगार बना दिया।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाला
कड़वी यादों पर नजर डालें तो सबसे पहले 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले का जिक्र आता है। इसकी सुगबुगाहट तो साल की शुरुआत से ही थी और भाजपा सहित अन्य पार्टियां शुरू से ही जांच की मांग कर रही थीं, लेकिन केंद्र सरकार की आंखें साल के अंत में खुलीं। और जब यह घोटाला सामने आया तो पता चला कि इसमें देश की जनता का करीब 1.75 करोड़ अरब रुपए का गोलमाल हुआ है। हालांकि राहत की बात यह है कि सीबीआई ने घोटाले के मुख्त कर्णधाार पूर्व संचार मंत्री ए राजा के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। तो उधार इस घोटाले में नीरा राडिया की अहम भूमिका भी सामने आई। फिलहाल सीबीआई एक-एक कर परतें खोल रही है, जिसमें कई बड़े नाम धाीरे-धाीरे सामने आ रहे हैं। उधार भाजपा व विपक्षी दल इस घोटाले की जांच संसदीय जांच समिति को सौंपने की मांग कर रहे हैं, जिसके चलते इस साल पहली बार संसद का शीतकालीन सत्र भी बिना बहस के खत्म हो गई।
कॉमनवेल्थ की कॉमनहेल्थ टीम ने झुकाया देश का सिर
सितंबर 2010 में देश की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में कॉमनवेल्थ आयोजन समिति की कारगुजारियों ने भारत का मान बढ़ाने के बजाय दुनिया के सामने देश का सिर झुका दिया। आयोजन समिति अधयक्ष सुरेंद्र कलमाड़ी ने कॉमनवेल्थ में कुछ ऐसा खेल खेला कि दुनिया की नजर में महाशक्ति के तौर पर उभर रहे हिन्दुस्तान की छवि धूमिल हो गई और दुनिया के करीब एक सैकड़ा से अधिक देशों से आये खिलाडियों के साथ ही अन्य मेहमानों का भारतीय अनुभव कड़वा हो गया। कलमाड़ी एंड कंपनी ने कुछ इस तरह घोटाले को अंजाम दिया कि पूरा देश शर्मिंदा हो गया। हालांकि अब सीबीआई आयोजन समिति अधयक्ष सुरेश कलमाड़ी पर शिकंजा कंस रही है, पर सवाल यह उठता कि कॉमनवेल्थ में उस अरब रुपयों का क्या होगा जो घोटालों की भेंट चढ़ गया।
आदर्श घोटाले ने छीना शहीदों का आशियाना
अक्टूबर माह में मुंबई में बनाए गए कारगिल शहीदों के परिवारों के लिए आशियाने को भी आदर्श घोटाले ने नहीं बख्शा। यहां तक की इसकी लपेट में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को अपना पद भी गंवाना पड़ा। इस घोटाले ने एक तरह से देश के अमर शहीदों के अरमानों पर पानी फेर दिया और देशवासियों के सामने भ्रष्टाचारियों ने साबित कर दिया कि वह किसी के सगे नहीं हैं। आदर्श हाउसिंग घोटाले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर अपने परिवारों को फ्लैट आवंटित करने के आरोप लगे। उधार इस मामले में पूर्व सेनाधयक्ष दीपक कपूर समेत कई अन्य मंत्रियों के नाम भी सामने आ रहे हैं, जिनका हो सकता है आगामी दिनों में खुलासा हो।
कर्नाटक में भूमि घोटाला
महाराष्ट्र के आदर्श घोटाले के बाद कर्नाटक में भूमि घोटाला सामने आया। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि कर्नाटक में भाजपा सरकार संकट में आ गई और उसे मुख्यमंत्री बीएस युदियुरप्पा को लेकर काफी विरोधा झेलना पड़ा तो उधार 2जी स्पेक्ट्रम सहित अन्य घोटालों को लेकर केंद्र में कांग्रेसनीत यूपीए सरकार को घेरने में भाजपा को अपना शिकंजा ढीला करना पड़ा। हालांकि इसके बाद पार्टी के दबाव के चलते मुख्यमंत्री युदियुरप्पा को उनके रिश्तेदारों को आवंटित जमीन वापस कर दी, जिसके बाद वह अपने किये पर बिना किसी शर्म के कुर्सी पर यथावत डटे रहे।
रेल दुर्घटनाओं ने भी दिया जख्म
वर्ष 2010 के शुरुआत में ही रेल दुर्घटनाओं का सिलसिला शुरू हो गया, जिन्होंने कई लोगों की जानें लीं। 2 जनवरी को ही उत्तरप्रदेश में घने कोहरे के कारण एक साथ तीन जगह हादसे हुए, जिसमें करीब 10 लोग मारे गए तो 50 से अधिक घायल हो गए। 16 जनवरी को यूपी में ही दो ट्रेनों की टक्कर और फिर 17 जनवरी को बाराबांकी में एक कार ट्रेन से टकरा गई। वहीं एक और रेल दुर्घटना 22 जनवरी को आजमगढ़ के पास हुई। इसके बाद 28 मई को ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस में नक्सलियों का कहर टूट पड़ा और हृदय विदारक हादसे में मुंबई की तरफ जा रही ट्रेन के 13 डिब्बे पश्चिमी मिदनापुर में पटरी से उतर गए, जो दूसरी ट्रेन से जा टकराए। इसमें कई यात्रियों की जान गई। वही 19 जुलाई को पश्चिम बंगाल के बीरभूमि जिले में दो ट्रेनों की टक्कर में करीब 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
पुणे में लश्कर ए तैयबा का बम धामाका
वर्ष 2010 में ही फरवरी माह में पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा ने पुणे में आतंकी वारदात को अंजाम देकर एक बार फिर हिन्दुस्तानियों की जान ली। पाकिस्तानी आतंकवादियों ने यहां जर्मन बेकरी में बम धामाका दिया, जिसमें करीब 17 लोग मारे गए और 60 से अधिाक घायल हो गए। उधार पश्चिम बंगाल में नक्सलियों ने भी 15 फरवरी को सिलडा कैम्प पर हमला किया, जिसमें 24 जवान शहीद हो गए।
प्रतापगढ़ में भगदड़ ने ली 63 की जान
वर्ष 2010 की सबसे बड़ी भगदड़ में यूपी के प्रतापगढ़ जिले में स्थिति रामजानकी मंदिर में हुई। 4 मार्च को मची भगदड़ में करीब 63 लोगों की मौत गई, जबकि करीब 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। वहीं कोलकाता में 23 मार्च को एक इमारत में भीषण आग से करीब 24 लोग की जान चली गई।
शिक्षा अधिकार की सौगात
केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से देशभर में शिक्षा का अधिाकार कानून पारित कर एक तरह से भारत का भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को शिक्षा का अधिकार प्रदान किया गया। इसके तहत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा का अधिकार मिला, जिससे देशभर में करोड़ों बच्चे लाभांवित हुए।
नक्सलियों ने ली 70 जवानों की जान
अप्रैल में ही नक्सल प्रभावित राज्य छत्ताीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने कहर ढा दिया और केंद्रीय रिजर्ब पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 70 जवानों की जान ले ली। इस घटना में नक्सलियों और सीआरपीएफ जवानों के बीच संघर्ष हुआ।
तूफान ने ली 140 जानें
वर्ष 2010 में 13 अप्रैल को पूर्वी भारत में भीषण तूफान आया, जिसने ऐसा कोहराम मचाया कि इसकी चपेट में आने से करीब 140 लोगों की जान चली गई। तो वहीं 5 लाख से भी अधिाक लोगों को बेघर कर दिया।
अजमल आमिर कसाब को फांसी
26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधाानी मुंबई पर कोहराम मचाने वाले एकमात्र जिंदा पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को 3 मई को मुंबई आतंकी हमले के मामले में दोषी करार दिया गया। उस पर भारत के खिलाफ युद्ध छेडने का आरोप सिद्ध हुआ और 6 मई को कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई।
मैंगलौर में दर्दनाक विमान हादसा
वर्ष 2010 देश की सबसे बड़ी विमान दुर्घटना का गवाह बना। 22 मई को मैंगलौर के हवाई अड्डे पर हुए इस दर्दनाक हादसे में करीब 158 लोग मारे गए, जबकि 8 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना में एयर इंडिया की एक्सप्रेस फ्लाइट 812 दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस तरह इस हादसे ने कई परिवारों के दीपक को हमेशा-हमेशा के लिए बुझा दिया। इस घटना का एक पहलू यह भी रहा है यह हादसा एयर इंडिया की विश्वसनीयता पर भी प्रश्रचिन्ह लग गया।
समुद्र में टकराये जहाज, रिसा तेल
इसी वर्ष 7 अगस्त को मुंबई के तट पर तेल से भरा एक टैंकर जहाज एक अन्य जहाज से टकरा गया, जिसमें 2662 टन तेल, 283 टन डीजल और 88040 लीटर ल्यूब ऑयल समुद्र में बह गया। इस कारण तटीय इलाकों में जबर्दस्त जल प्रदूषण फैल गया। एक जहाज पैनामा से और दूसरा सेंट किट्टस से आ रहा था।
अयोध्‍या पर अनसुलझा फैसला
30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 1992 में ढहाई गई बाबरी मस्जिद के बाद विवादित स्थल पर अनसुलझा फैसला सुनाया। कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड, हिन्दू महासभा और निर्मोही अखाड़ा तीनों को बराबर से एक तिहाई हिस्सा देने का फैसला दिया। इस फैसले को लेकर देशभर में लोगों की सांस थम गईं, किन्तु समय का तकाजा और परिपक्व होते आधुनिक समाज ने देश को कलंकित करने से बचा लिया और गनीमत रही कि फैसले के बाद देशभर में कोई घटना नहीं हुई। अयोध्‍या मामले में पहले फैसला 24 सितंबर को आना था, लेकिन देश में शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था का परीक्षण करने के बाद 30 सितंबर को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया। हालांकि तीनों ही संगठन इस फैसले से असंतुष्ट हैं और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं।

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