Thursday, January 6, 2011

इस मायावती को हटाना-हराना जरूरी हो गया है


इस मायावती को हटाना-हराना जरूरी हो गया है

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यूपी में जंगलराज चरम पर है. महिला मुख्यमंत्री के राज में महिलाओं की ही इज्जत सबसे ज्यादा असुरक्षित है. कभी निर्दोष महिलाओं को बिना किसी सुबूत रात भर थाने में बिठाए रखने जैसी जघन्य घटना घटित होती है तो कभी नाबालिग लड़की से दुराचार करने वाले बसपाई विधायक को बचाने में पूरा तंत्र लग जाता है. खबर आ रही है कि दुराचार की शिकार नाबालिग शीलू पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह अपने आरोप वापस ले ले.  इस बारे में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया चेयरमैन एवं बांदा सदर से विधायक विवेक कुमार सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा एक अतिपिछड़ी नाबालिग लड़की शीलू के साथ हुए दुराचार की जांच सीबीसीआईडी से कराने का निर्णय लेना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
बीएसपी के विधायक पुरूषोत्तम नरेश द्विवेदी को मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने जेल जाने से बचाने के लिए अपने अधिकारों का दुरूपयोग किया है. पूरे जनपदवासी इस प्रकरण पर आन्दोलित थे. वह चाहते थे कि नाबालिग लड़की को न्याय मिले. पीड़ित लड़की 4 जनवरी को मुंसिफ मजिस्ट्रेट के न्यायालय में अपनी आप बीती सुनाना चाहती थी, बयान देना चाहती थी. इसके लिए उसने वकील नियुक्त किये थे तथा उनको पूरे प्रकरण से अवगत भी कराया था. तब शीलू को पुलिस अधीक्षक ने जेल में जाकर धमकाया था तथा छह घंटे तक जेल में रहकर दबाव डालते रहे. बावजूद इसके, इस बहादुर लड़की ने अपने बयान में अपने साथ दुराचार होने तथा विधायक के शामिल होने की बात कही है. शीलू पर पुलिस दबाव डाल रही है. शीलू ने जब किसी भी सादे कागज पर हस्ताक्षर नहीं किये तब जबरन जेल में उसके अंगूठे के निशान ले लिये गये.
विवेक कुमार सिंह का कहना है कि इस कांड में पुलिस अधीक्षक को मैंने स्वयं जनता व मीडिया की शिकायत पर जेल में जाकर पकड़ा जो अवैध रूप से जेल में बैठकर शीलू को धमका रहे थे. मैंने छह घंटे तक पुलिस अधीक्षक की अवैध रूप से जेल में उपस्थिति पर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसकी सूचना भारत के मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं जिला जज, बांदा को लिखित रूप से दी है. मैंने शिकायत की है कि किस तरीके से न्यायिक प्रणाली में पुलिस हस्तक्षेप कर रही है.
विवेक के मुताबिक दोषी पुलिस अधीक्षक तो बीएसपी के कैडर के एसपी की तरह अपने पद पर विराजमान हैं किन्तु पुलिस की कार्यपद्धति से नाराज डी.आई.जी. चित्रकूटधाम बांदा को यहां से हटा दिया गया. यह इस बात को दर्शाता है कि बी.एस.पी. सरकार अपने विधायक को बचाना चाहती है. जेल में सिर्फ शीलू के पिता को नहीं मिलने दिया जा रहा, जबकि झूठे रिश्तेदारों को शीलू पर दबाव डालने के लिए मिलाया जा रहा है. श्री सिंह ने कहा कि मेडिकल परीक्षण पुलिस को तत्काल गिरफ्तारी के बाद कराना चाहिए था किन्तु पुलिस ने पन्द्रह दिन बाद जो मेडिकल परीक्षण कराया, उसका क्या मतलब है.
सदर विधायक बांदा श्री सिंह ने कहा कि इस वीभत्स कांड की जांच मुख्यमंत्री ने सी.बी.सी.आई.डी. को सौंपी है तो लगता है कि उनकी सरकार के पुलिस अधीक्षक पर ही उन्हें भरोसा नहीं रह गया, जब सरकार ही विधायक को बचाने का प्रयत्न कर रही है तो सी.बी.सी.आई.डी. शीलू को क्या न्याय दिला पायेगी. यदि मुख्यमंत्री इस कांड को गंभीरता से लेती हैं तो इसकी जांच के लिए मुख्यमंत्री, भारत सरकार के गृह मंत्रालय से अनुरोध करतीं कि इस केस की जांच सी.बी.आई. से करायें, क्योंकि जनता के बीच पुलिस का ऐसा व्यवहार रहा है जैसे कि दुराचार में पुलिस भी शामिल है. ऐसे में प्रदेश की पुलिस की कोई भी इकाई शीलू को न्याय दिलाने में सक्षम नहीं है.
कांग्रेस विधायक विवेक कुमार सिंह की बातों से जाहिर है कि यूपी में सत्यमेव जयते की अवधारणा को खत्म कर दिया है मायावती सरकार ने. महिलाओं, गरीबों को उत्पीड़ित करने वाली इस सरकार के राज में सिर्फ भ्रष्टाचारियों की मौज है. भ्रष्ट अफसर और भ्रष्ट उद्योगपति चांदी काट रहे हैं. कमीशनबाजी का खेल चरम पर है. लूट सको तो लूट वाली कहावत यहां पूरी तरह चरितार्थ है. ऐसे में यूपी की जनता को मायावती को चुनावों में हराने व सत्ता से हटाने के लिए तय कर लेना चाहिए. अगले विधानसभा चुनाव में सभी बसपा प्रत्याशियों को हराकर मायावती को सबक सिखाना चाहिए कि जिस जनता ने तुम्हें सिरआंखों पर बिठाया है, वही जनता खुद के अपमान से परेशान होकर तुम्हें एक दिन धूल चटा देगी.
बसपाइयों को हराने के लिए एक रणनीति को अभी से गांठ बांध लेने की जरूरत है. वो है- बसपा प्रत्याशी को जो भी दूसरा प्रत्याशी हरा रहो हो, उसे आंख मूंद कर वोट देकर जिता दो. इससे वोटों के विभाजन का खतरा खत्म हो जाएगा और बसपा की हार पक्की हो जाएगी. अगर आज भी किसी को मुगालता हो कि मायावती और बसपा दलितों की हितैषी हैं, तो वे दिवास्वप्न देख रहे हैं. मायावती ने दलितों के हित का नारा उछालकर दलितों के वोट बैंक को कब्जा कर रखा है. लेकिन दलितों ने भी जान लिया है कि माया राज किन्हीं अन्य राजों से अलग नहीं है. शीलू कांड में सरकार की भूमिका से सबकुछ साफ हो गया है.

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