Friday, April 9, 2021

सतसंग सुबह RS 10/04


**राधास्वामी!! 10-04-2021-आज सुबह सतसँग में पढे गये पाठ:-      



                                                                         

 (1) चुनर मेरी मैली भई।अब का पै जाऊँ धुलान।।-

(राधास्वामी धुबिया भारी।

प्रगटे  आय जहान।।)


(सारबचन-शब्द-6-पृ.सं.550,551-)

( राजाबरारी-ब्राँच- 105-उपस्थिति!)    

                                                                                                              

   (2) गुरु प्यारे का प्यारी सुन उपदेश।।टेक।।

निज घर का वे भेद सुनावें। तिरलोकी जानों परदेश।।-

(राधास्वामी धाम करे बिसरामा।

जहाँ परम सुख नाहीं द्वेष।।)

(प्रेमबानी-3-शब्द-21-पृ.सं.25)    

                   

 सतसँग के बाद:-                                                

  (1) राधास्वामी मूल नाम।।                                 

 (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                             

(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा.ओहो हो हो।। (प्रे. भा. मेलारामजी फ्राँस)                                     

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज

-भाग 1- कल से आगे

:- इसी कारण मैंने उसका कुछ अंश दोबारा पढ़वाया था। मैं यह जानना चाहता हूँ कि उस बचन के सुनने के बाद आप साहबान ने उस बचन की हिदायतों के अनुसार भक्ति रीति की कोई अमली कार्रवाई खुद की या नहीं।

 मेरा सवाल आपके सामने पेश है। या तो आप में से पाँच या छः आदमी खड़े होकर इसका उत्तर दें वरना मुझे खुद लोगों से सीधे पूछना होगा। यदि कल का बचन सुनने के बाद भी आपने कोई कार्रवाई भक्ति रीति के अनुसार नहीं की या आपने अपना कर्तव्य इस बचन के प्रकाश में और इसके आदेशानुसार पालन नहीं किया तो आपके ऐसा न करने से खेद होने के सिवाय और कोई नतीजा नहीं निकल सकता।

 क्या आप साहिबान भूल गए कि साहबजी महाराज फरमाया करते थे कि मुलाकात के समय सामने देखना और दृष्टि मिलाये रखना चाहिए।

 क्रमशः🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

[ भगवद् गीता के उपदेश]

- कल से आगे:

- अर्जुन ने कहा- हे जनार्दन !आपका कोमल मनुष्य रूप दोबारा देखकर अब मेरे हवास दुरुस्त हो गये हैं और मुझे फिर होश आ गया है।।                                                        

श्री कृष्ण जी बोले- मेरे इस स्वरूप का, जो तुम ने देखा है, दर्शन बड़ा कठिन है। तुम निश्चय मानो कि देवता तक इसके लिए तरसते हैं। यह दर्शन जो तुम्हे प्राप्त हुआ है, न वेदों से प्राप्त किया जा सकता है, न तप से, न दान पुण्य से और न यज्ञ से। मेरा यह दर्शन केवल मेरी अनन्य भक्ति से प्राप्त हो सकता है।

 मेरे तत्व का ज्ञान प्राप्त करके इससे इसमें समाना मुमकिन है ।जो मेरे निमित्त कर्म करता है, जो मुझे सबसे श्रेष्ठ मानता है, जो मेरा भक्त है, जिसके दिल में न किसी के लिए राग है न द्वेष, ऐसा भक्त मुझ को प्राप्त होता है।

【55】                            

 क्रमशः🙏🏻राधा स्वामी🙏🏻


**परम गुरु हुजू महाराज-

 प्रेम पत्र -भाग 2- कल से आगे-( बचन- 2)

-[ राधास्वामी मत वालों का बरताव साथ अपने कुटुम्ब परिवार और बिरादरी के]                                                     

  (1) राधास्वामी मत के अभ्यासियों  को हुक्म है कि अपने घर में रह कर और पेशा या रोजगार बदस्तूर जारी रख कर, जो जुगत कि उनको बतलाई जावे, उसका अभ्यास दो बार, तीन बार या चार बार हर रोज का एक एक घंटे या कुछ कम करते रहें और दुनियाँ की फ़ज़ूल और बेफायदा चाहें उठानी मोक़ूफ़ करें।

और जिस वक्त अभ्यास करें, उस वक्त तो जरूर इस कदर होशियारी रक्खें कि दुनियाँ का ख्याल उनके मन में,जहाँ तक मुमकिन होवे, न आवें और जो बगैर इरादे के ऐसे ख्याल उठें हैं तो उनको जिस कदर जल्दी मुमकिन होवे हटा देवें।  

                       

  क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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