Wednesday, April 14, 2021

RS सतसंग DB सुबह 14/04

 **राधास्वामी!! 14-04-2021-आज सुबह सतसँग में पढे गये पाठ:-                                        

    (1) करूँ बेनती राधास्वामी आज। काज करो और राखो लाज।।-(मैं जंगी तुम हो राधास्वामी। जोड मिलायि तुम अंतरजामी।।) (सारबचन-शब्द-तीसरा-पृ.सं.166-राजाबरारी ब्राँच-अधिकतम उपस्थिति-101)                                                             

 (2) गुरु प्यारे का सतसँग करो  दिन रात।।टेक।। सुन सुन बचन मगन होय मन में। चरनन में नित प्रीति बढात।।-(राधास्वामी मेहर से जागी सूरत। सुन सुन धुन अब अधर चढात।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-25-पृ.सं.27,28)                                                            

 सतसँग के बाद:-                                            

   (1) राधास्वामी मूल नाम।।                                

  (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                                  

(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।। (प्रे. भा. मेलारामजी-फ्राँस!)                                             🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज

- भाग 1- कल से आगे:-( 62)-


उपरोक्त बचन को जारी रखते हुए हुजूर पुरनूर ने जो स्वप्न 2 जुलाई 1941 की रात को देखा था उसके बारे में फरमाया-

अब मौजूदा हालत के एक और पहलू पर बयान किया जाता है। आशा है कि यदि मेरी समाखराशी(बातचीत) ने आपके स्वभाव पर भट्टे के डेंपर का असर पैदा किया हो तो वह इसके सुनने से दुरुस्त हो जायगा और आपको प्रसन्नता हासिल होगी।

 वर्तमान युद्ध के पहले ही से संसार की दशा संतोषजनक नहीं थी, परंतु युद्ध के आरंभ से दशा दिन-ब-दिन अधिक से अधिक बुरी होती गई । लड़ाई जो भारत से अभी तक काफी दूरी पर थी वह धीरे-धीरे उसके निकट तक आती गई और धीरे-धीरे अधिक भयानक रूप धारण करती रही। हवाई जहाज और बम वर्षा की चर्चा आजकल प्रति क्षण की कार्यवाही मालूम होती है।

अतएव आजकल जिन देशों में युद्ध जारी है उन देशों के लोग संकट से बचे नहीं है। हर समय उनको ही ख्याल लगा रहता है कि अभी दुश्मन सिर पर आया और उनके शहरों और कस्बों को तबाह व बर्बाद किया। दो जुलाई की कहानी सुनाने वाले को स्वप्न में इस युद्ध के देखने का सयोंग हुआ।

12:30 बजे या 1:00 बजे रात का समय था। यह समय बम वर्षा के लिए खास कर अच्छा होता है । एक दूसरे शख्स ने इस कहानी सुनाने वाले से कहा कि दुश्मन अभी आने वाला है। ये दोनों शख्स उस समय तक एक ऊँची पहाड़ी पर थे और पहाड़ी पर एक मकान बना हुआ था। स्वपन के समय वे इस मकान के नीचे ही थे। पहाड़ी भूमि गीली होने के कारण उन्होंने मोटे मोजे पहन लिये जिससे कि पाँव गीले होकर ठंडे न हो जायँ। दुश्मन के आक्रमण से दिल में बिल्कुल घबराहट पैदा नहीं हुई। क्रमशः                    

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हजूर साहबजी महाराज-

[ भगवद् गीता के उपदेश]-

कल से आगे:- जिसे किसी वस्तु की इच्छा नहीं है,जो बाहर और भीतर शुद्ध है, योग्य है, उदासीन (पक्षपातरहित) है, शांतचित है, और सब कर्मों के झंझट से न्यारा रहता है, वह मेरा भक्त कि मुझे दिल से प्यारा है ।

 और जो न किसी से राग करता है न द्वेष, न सोच करता है न इच्छा, जो शुभ और अशुभ के झगड़े को छोड़ बैठा है और भक्ति में पूर्ण है, वह भी मुझे दिल से प्यारा है।

जो शख्स दोस्त व दुश्मन को एक निगाह से देखता है और मान अपमान गर्मी सर्दी और सुख दुख को समान समझता है, जिसका मन आसक्ति रहित है , जो स्तुति और निंदा की समान समझता है, कम बोलता है, जो कुछ प्राप्त हो उसी में संतुष्ट रहता है, ज्यादा के बंधन में नहीं पड़ता, स्थिर मन वाला है और भक्तिमान् है वह शख्स भी मुझे दिल से प्यारा है। जो इस अमृतरूपी धर्म को, जैसा कि मैंने बयान किया है, श्रद्धा के साथ धारण करते हैं और मुझको अपने जीवन का लक्ष्य बनाते हैं देशभक्त मुझको हर हद से ज्यादा प्यारे हैं ।

【20】              

क्रमशः                                                       

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻



**परम गुरु हुजूर महाराज-


 प्रेम पत्र -भाग 2- कल से आगे:-(6) -


अपने दोस्तों से भी राधास्वामी मत के सत्संगी को प्यार भाव के साथ बर्ताव रखना चाहिए, पर जो वे और रिश्तेदार और बिरादरी के लोग जब जब मिले इसके परमार्थ की हंसी या खिल्ली उड़ावे और तान और तंज के बचन कहते रहे, तो एक ,दो या तीन बार उनको सहूलियत के साथ जवाब साफ देकर उनकी गलती पर उनको खबरदार कर देवे और राधास्वामी मत की महिमा और बढ़ाई उनके रबरू बयान कर देवे।

और जो फिर भी अपनी आदत हँसी और खिल्ली की न छोडें और जब जब मिले तब तब उस सत्संगी के साथ छेड़छाड़ करते रहे, तो मुनासिब है कि उनसे काम मिले और अपने वक्त फुर्सत को सुमिरन ध्यान या भजन या पाठ में लगाना शुरु कर देवे।

 राधास्वामी दयाल की मेहर से वे सब आहिस्ता आहिस्ता आप ही उस सतसँगी की तरफ से हट कर अलहदा सोहबत इख्तियार कर लेंगे और इससे आइंदा को वह सरोकार न रक्खेंगे।

जब ऐसी सूरतें होती जावें तो जानो कि राधास्वामी दयाल की दया है कि वे आप अपने अभ्यासी सत्संगी का पीछा हर एक से छुड़ाते जाते हैं और एक दिन इसी तरह सब रिश्ते डोरियों को बिल्कुल ढीला करके सूरत को सहज में अपने निज घर में पहुँचा देवेंगे।। क्रमशः                        

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*l


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