Monday, April 12, 2021

RS सतसंग DB शाम 12/04

 **राधास्वामी!! 12-04-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-                                   

   (1) गुरु प्यारे चरन मन भावन, हिये राखूँ बसाय(छिपाय)।।

-(राधास्वामी मेहर की क्या कहूँ महिमा।

 सहज लिया मोहि चरन लगाय।

 सब बंद छुडाय।।)

 (प्रेमबानी-3-शब्द-10-पृ.सं.77)

(-बकरपुर (बिहार) ब्राँच-182-उपस्थिति!)          

                                                    

(2) धन धन राधास्वामी गाय रहूँगी।

 जग में शोर मचाय रहूँगी।।

गुरु गुरु नाम पुकार रहूँगी।।टेक।।

 (मेहर करी घट भेद सुनाया।

मन में मेरे प्रेम जगाया।।

रुप अनूप मेरे हिये बसाया। जग का भय और भाव हटाया।।

 बिमल बिमल गुन गाय रहूँगी।।)

(प्रेमबानी-4-शब्द-20-पृ.सं.157,58)          

                                        

 (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।      

 सतसँग के बाद:-                                             

 (1) राधास्वामी मूल नाम।।                                

 (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                           

(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।

(प्रे. भा. मेलारामजी-फ्राँस।)                                         

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**राधास्वामी!!                                      

   12-04-2021-आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे:-( 204) का भाग:-                                           

 ये लोग केवल भारवाहक पशुओं के समान पुस्तकों का बोझ उठाए फिरते हैं। और जैसे किसी घोड़े की पीठ पर चीनी लदी हो और उसे उस चीनी का कोई स्वाद प्राप्त नहीं होता ऐसे ही ये लोग शिर पर (मस्तिष्क) में धर्म पुस्तकें लादे फिरते हैं। पर उनके उपदेशों के स्वाद से वंचित है। ' गुलिस्ताँ' में आया है:- इल्म चदाँ कि बेश्तर ख्यानी। चूँ अमल दर तो नेस्त नादानी। न मुहक़्क़िक़ बुबद न दानिशमंद। चारपाया बरो किताबे चन्द।                                                         

अर्थात् हे मनुष्य! तू कितनी ही अधिक विद्या क्यों न पढ ले, जबकि तू उस पर आचरण नहीं करेगा, अज्ञ ही रहेगा। स्मरण रख कि चौपाये अर्थात पशु की पीठ पर पुस्तकें लाद देने से न वह तत्वज्ञानी बन जाता है,न बुद्धिमान।

इसी प्रकार भगवद्गीता के दूसरे अध्याय के श्लोक 53 में फरमाया है-" वेद वाक्यों से घबराई हुई तेरी बुद्धि जब समाधि- वृति में स्थिर और निश्चल होगी अर्थात वेदों की बातों से जो तेरा मन भरम रहा है जब यह एकाग्र होकर स्थिर हो जायगा तब तुझे योग- अवस्था प्राप्त होगी"।क्रमशः                               🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻    

                                 

    यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!


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