Monday, November 1, 2021

धन तेरस ( कथा ) प्रसंग

 धनतेरस यम दीप दान विशेष

कृष्ण मेहता 


कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धनवन्तरि अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। 


धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।


दीपावली की रात भी लक्ष्मी माता के सामने साबुत धनिया रखकर पूजा करें। अगले दिन प्रातः साबुत धनिया को गमले में या बाग में बिखेर दें। माना जाता है कि साबुत धनिया से हरा भरा स्वस्थ पौधा निकल आता है तो आर्थिक स्थिति उत्तम होती है।


धनिया का पौधा हरा भरा लेकिन पतला है तो सामान्य आय का संकेत होता है। पीला और बीमार पौधा निकलता है या पौधा नहीं निकलता है तो आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 


धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर सम्भव न हो तो कोइ बर्तन खरिदे। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हें।


दाहं तेरस पौराणिक कथा


कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।

यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।


धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में रंगोली बना कर दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।


विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे उसी वक्त उनमें से एक ने यमदेवता से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।


धन तेरस पूजा सामान्य विधि


इस दिन लक्ष्मी-गणेश और धनवंतरी पूजन का भी विशेष महत्व है। धनतरेस पर धनवंतरी और लक्ष्मी गणेश की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक लकड़ी का पट्टा लें और उस पर स्वास्तिक का निशान बना लें।इसके बाद इस पर एक तेल का दिया जला कर रख दें दिये को किसी चीज से ढक दें दिये के आस पास तीन बार गंगा जल छिड़कें इसके बाद दीपक पर रोली का तिलक लगाएं और साथ चावल का भी तिलक लगाएं इसके बाद दीपक में थोड़ी सी मिठाई डालकर मीठे का भोग लगाएं फिर दीपक में 1 रुपया रखें। रुपए चढ़ाकर देवी लक्ष्मी और गणेश जी को अर्पण करें इसके बाद दीपक को प्रणाम करें और आशीर्वाद लें और परिवार के लोगों से भी आशीर्वाद लेने को कहें। इसके बाद यह दिया अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें, ध्यान रखे कि दिया दक्षिण दिशा की ओर रखा हो।


यमदीपदान विधि


यमदीपदान विधि में नित्य पूजा की थाली में घिसा हुआ चंदन, पुष्प, हलदी, कुमकुम, अक्षत अर्थात अखंड चावल इत्यादि पूजा सामग्री होनी चाहिए। साथ ही आचमन के लिए ताम्रपात्र, पंच-पात्र, आचमनी ये वस्तुएं भी आवश्यक होती हैं। यमदीपदान करने के लिए हलदी मिलाकर गुंथे हुए गेहूं के आटे से बने विशेष दीप का उपयोग करते हैं ।


यमदीपदान प्रदोष काल में करना चाहिए। इसके लिए मिट्टी का एक बड़ा दीपक लें और उसे स्वच्छ जल से धो लें। तदुपरान्त स्वच्छ रुई लेकर दो लम्बी बत्तियाँ बना लें। उन्हें दीपक में एक-दूसरे पर आड़ी इस प्रकार रखें कि दीपक के बाहर बत्तियोँ के चार मुँह दिखाई दें। अब उसे तिल के तेल से भर दें और साथ ही उसमें कुछ काले तिल भी डाल दें।


प्रदोषकाल में इस प्रकार तैयार किए गए दीपक का रोली, अक्षत एवं पुष्प से पुजन करें। उसके पश्चात् घर के मुख्य दरवाजे के बाहर थोड़ी-सी खील अथवा गेहूँ से ढेरी बनाकर उसके ऊपर दीपक को रखना है। दीपक को रखने से पहले प्रज्वलित कर लें और दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए चारमुँह के दीपक को खील (लाजा) आदि की ढेरी के ऊपर रख दें।


मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति ।।


अर्थात् त्रयोदशी को दीपदान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों।


उक्त मन्त्र के उच्चारण के पश्चात् हाथ में पुष्प लेकर निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए यमदेव को दक्षिण दिशा में नमस्कार करें।


धनतेरस पूजा मुहूर्त


धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है और लगभग 2 घण्टे 24 मिनट तक रहता है। प्रदोषकाल में दीपदान व लक्ष्मी पूजन करना शुभ रहता है।


प्रदोषकाल पूजन मुहूर्त


ऋषिकेश के आसपास के शहरों में धन तेरस पूजा मुहूर्त 2 नवम्बर सूर्यास्त समय सायं लगभग 05:21 तक रहेगा। 

प्रदोष काल: सायं 05:31 से 08:10  तक रहेगा इस समय अवधि में स्थिर लग्न वृषभ सायं 06:15 से रात 08:11 तक रहेगी। अतः धनतेरस पूजा के लिये श्रेष्ठ मुर्हुत: सायं 06:15  से 08:11 तक रहेगा

इस मुहूर्त समय में पूजा होने के से घर-परिवार में स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

 

चौघड़िया अनुसार पूजन करने के लिए शुभ मुहूर्त


शुभ काल मुहूर्त 12:01 से 13:31 तक

चर काल मुहूर्त 16:35 से 18:05 तक

लाभ काल मुहूर्त 21:02 से 22:33 तक


उपरोक्त में लाभ समय में पूजन करना लाभों में वृद्धि करता है। शुभ काल मुहूर्त की शुभता से धन, स्वास्थय व आयु में शुभता आती है। सबसे अधिक शुभ अमृत काल में पूजा करने का होता है।


धनतेरस पर खरीददारी के लिये शुभ मुहूर्त


चर लग्न 👉 सुबह 8.45 बजे से 10.10 बजे तक।


त्रिपुष्कर योग 👉 06:31 से 11:31 


अभिजीत मुहूर्त 👉 दोपहर 11.38 बजे से 12.12 बजे तक।


वृष लग्न 👉 शाम 6.15 बजे से रात 8.11 बजे तक।


इसमें भी अभिजीत मुहूर्त एवं त्रिपुष्कर योग ने खरीददारी करना अत्यंत शुभ माना गया है।


ध्यान रहे दिन 02:45 से 04:07 तक राहुकाल रहेगा इस अवधि में खरीददारी ना करें।

            

राशियों के अनुसार जाने धनतेरस पर क्या खरीदना शुभ होगा          


मेष

इस राशि का स्वामी मंगल है। धनतरेस के शुभ मुहूर्त पर मेष राशि के जातकों के लिए ताबें की वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन आप चाहें तो भूमि में भी निवेश कर सकते हैं। अगर आप इस दिन तांबे की कोई वस्तु नहीं खरीदना चाहते तो आप चांदी या इलेक्ट्रॉनिक का भी कोई समान खरीद सकते हैं। वहीं इस राशि के लोगों को शेयर, केमिकल, चमड़े, लोहे से संबंधित काम में निवेश करने से बचना चाहिए।  

 

वृष

वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है। इन राशि के लोग धनतेरस के दिन चांदी का कोई सामान खरीद सकते हैं। इसके अलावा धनतेरस के दिन चावल अवश्य खरीदने चाहिए। इस खास मौके पर अनाज, कपड़ा, चांदी, चीनी, चावल, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, परफ्यूम, दूध और उससे बने पदार्थ, प्लास्टिक, खाद्य तेल, कपड़े, और रत्नों में निवेश करने या खरीदने से लाभ होगा। इससे मां लक्ष्मी हमेशा कृपा बरसाती रहेंगी।  

 

मिथुन 

मिथुन राशि के जातकों का स्वामी बुध है। बुध व्यापारियों को लाभ देने वाला ग्रह है। मिथुन राशि के जातक धनतेरस पर स्टील के बर्तन खरीद सकते हैं। धनतेरस के दिन आपका वाहन खरीदना या सोने में निवेश करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन आप सफेद वस्त्र का दान करें, जिससे आपकी वित्तीय स्थिति बेहतर हो जाएगी। इसके अलावा धनतेरस के दिन कागज, लकड़ी, पीतल, गेहूं, दालें, कपड़ा, स्टील, प्लास्टिक, तेल, सौदर्य सामग्री, सीमेंट, खनिज पदार्थ आदि का व्यापार करने वाले और खरीदने वाले को लाभ मिलेगा।   

 

कर्क

कर्क राशि का स्वामी चंद्र है। धनतेरस के दिन आपका कंपनियों के शेयर और फाइनेंस कंपनियों में निवेश करना लाभदायी होगा। कर्क राशि के लोग धनतेरस के दिन चांदी की वस्तुएं खरीद सकते हैं। इसके अलावा चाहें तो आप स्टील के बर्तन भी खरीद सकते हैं। इस दिन इलेक्ट्रॉनिक का आइटम खरीदना आपके लिए शुभ होगा, यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके घर में मां लक्ष्मी का वास हमेशा बना रहेगा। 

 

सिंह

सिंह राशि का स्वामी सूर्य है। इन राशि के जातकों को नौकरी पसंद नहीं होती है ये केवल व्यापार करने में विश्वास रखते हैं। धनतेरस के दिन आप शेयर या जमीन-जायदाद में निवेश कर सकते हैं। इस दिन सिंह राशि के जातक तांबे या कांसे की वस्तुओं को खरीद सकते हैं। आप चाहें तो इस खास मौके पर सोने मे निवेश कर सकते हैं या इलेक्ट्रॉनिक का कोई आइटम खरीद सकते हैं। इस दिन आप नए कपड़े भी खरीद सकते हैं ऐसा करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद आप पर हमेशा बना रहेगा।

 

कन्या

कन्या राशि का स्वामी बुध है, जिसे चंद्रमा का शत्रु माना जाता है। इन राशि के लोगों के लिए धनतेरस के दिन तांबे के गणेश जी खरीदना शुभ माना जाता है। वहीं इस खास मौके पर आप रसोई के लिए कोई आइटम भी खरीद सकते हैं। इस खास मौके पर अगर आप चाहें तो कांसे या हाथी के दांत से बनी चीजें भी खरीद सकते हैं। 

 

तुला

तुला राशि का स्वामी शुक्र है। इस ऱाशि वालों को इलेक्ट्रॉनिक सामान और तेल में निवेश करना शुभ माना जाता है। तुला राशि के जातक धनतेरस के दिन चांदी या स्टील से बनी कोई भी चीजें खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप कोई ब्यूटी प्रोडक्ट्स या घर को सजाने वाली किसी वस्तु को खरीद सकते हैं। ऐसा करने से आपको ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 

 

वृश्चिक

इस राशि के जातकों का स्वामी मंगल है। इस राशि वाले लोगों को धनतेरस के दिन जमीन, मकान, दुकान और वस्त्रों में निवेश करना चाहिए। इस खास मौके पर सोने की वस्तु को खरीदना काफी शुभ माना जाता है। यदि आप चाहें तो इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं भी खरीद सकते हैं। यदि आप इन वस्तुओं को खरीदते हैं तो आपको धनलाभ के कई योग बनेंगे। 

 

धनु

इस राशि के लोगों का स्वामी गुरु है। गुरु व्यापारियों को लाभ प्रदान कराने वाला ग्रह है। धनतेरस के दिन सोने का आइटम और अनाज खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप इस दिन आभूषण, रत्न, अनाज, चांदी और ब्यूटी प्रोडक्टस भी खरीद सकते हैं। यदि आप इस दिन कोई पीली वस्तु खरीद लें तो आपके ऊपर लक्ष्मी के साथ-साथ बृहस्पति देव का भी आशीर्वाद बना रहेगा। 

 

मकर

मकर राशि का स्वामी शनि है। धनतेरस के दिन इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, इत्र, स्टील और ब्यूटी प्रोडक्ट्स में निवेश से लाभ प्राप्त होता है। मकर राशि के लोग धनतेरस के दिन वाहन खरीद सकते हैं क्योंकि उनके लिए यह दिन काफी शुभ है। इसके अलावा आप मां लक्ष्मी के पूजन के लिए वस्त्र और चांदी का सिक्का भी खरीद सकते हैं। इस पावन अवसर पर यह सब चीजें खरीदने से आपके घर में समृद्धि का वास होगा। 

 

कुंभ

इस राशि के जातकों का स्वामी शनि है। धनतेरस के दिन लोहे, इलेक्ट्रॉनिक सामान, वाहन, इत्र, स्टील आदि वस्तुएं खऱीद सकते हैं। इस दिन आप चाहें तो नीलम रत्न भी खरीद सकते हैं। यह काफी शुभ माना जाता है। यदि आप चाहें तो इस दिन भगवान गणेश और धन की देवी लक्ष्मी के चित्र वाला सोने का सिक्का भी खरीद सकते हैं। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर रहेगी।

 

मीन

मीन राशि वालों का स्वामी गुरु है। चंद्रमा का घनिष्ठ मित्र माना जाता है। धनतेरस के दिन सोना, चांदी, रत्न, आभूषण आदि सामग्रियों को खरीदना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप इस दिन चांदी के बर्तन भी खरीद सकते हैं। अगर आप चाहें तो कोई इलेक्ट्रॉनिक आइटम भी खरीद सकते हैं। ये सब खरीदते हैं तो आप पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। 


कुछ अन्य उपाय टोटके


धन तेरस पर धन प्राप्ति के अनेक उपाय बताए जाते हैं लेकिन सभी उपायों से बढ़कर है धन और आरोग्य के देवता धन्वं‍तरि का पावन स्तोत्र। 


 धन्वं‍तरि स्तो‍त्र


ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः।

सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम॥

कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम।

वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम॥


ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धन्वं‍तरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥ 


इस स्तो‍त्र को कम से कम 11 बार पढ़ें।


👉 पूर्ण भाव से भगवान धन्वंतरि जी का पूजन करें।


👉 घर में नयी झाडू और सूपड़ा खरीद कर लाये और विधि से पूजन करें।


👉 सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर अपने मकान , दुकान आदि को सुन्दर सजाये।


👉 माँ लक्ष्मी को गुलाब के पुष्पों की माला पहनाये और उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाये।


👉 अपनी सामर्थ्य अनुसार तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करते हैं।


👉 हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।


👉 धनतेरस के दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर घर में रखने से परिवार की धन संपदा में वृ्द्धि होती है।


👉 कुबेर देवता का पूजन करें। शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गड़ी बिछाएं।


👉 सायंकाल पश्चात १३  दीपक जलाकर  तिजोरी में भगवान कुबेर धन के देवता  का पूजन करें।


👉 मृत्यु के देवता यमराज  के निमित्त दीपदान करें।


👉 तेरस के सायंकाल किसी पात्र में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें। पश्चात गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें-


‘मृत्युना दंडपाशाभ्याम्‌ कालेन श्यामया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात्‌ सूर्यजः प्रयतां मम।

अब उन दीपकों से यम की प्रसन्नता के लिए सार्वजनिक स्थलों को प्रकाशित करें।


एस्ट्रोनाॅमिक्स

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